
भोंपूराम खबरी। नैनीझील में जलीय जंतुओं की भक्षक मंगुरा मछली (कैट फिश) दिखने से इसका पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ने का डर पैदा हो गया है। पिराना जैसी खतरनाक मांसाहारी मंगुरा मछली की उपस्थिति से झील में हाथ डालने वाले पर्यटकों और डूबे शवों को खाने का भी खतरा बन गया है।

नैनीझील में शाकाहारी मछलियों का लंबा इतिहास और अस्तित्व का विवरण रहा है। यहां मांसाहारी मछलियों का कोई इतिहास नहीं है। लेकिन, वर्ष 2008-09 के आसपास इसमें बौद्ध धर्म को मानने वाले एक समुदाय ने धार्मिक मान्यताओं के चलते अपनी बीमार माँ के स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए ऐसी मछलियों को नैनीझील में प्रवाहित कर दिया था।
जानकारी मिलने के बाद लेक डेवलपमेंट अथॉरिटी(एल.डी.ए.)के तत्कालीन सचिव धीराज गर्ब्याल ने पंतनगर विश्वविद्यालय के मत्स्य विभाग से संपर्क कर बंगाली मछवारों की मदद से कुल 39 मांसाहारी मंगुरा मछलियों को निकाला था। तभी से झील का पारिस्थितिकी तंत्र नियंत्रण में चल रहा था, लेकिन आज एक बार फिर उसी मांसाहारी मछली के झील में दिखने के बाद शहर में हड़कंप मच गया है।
इसका वीडियो भी बनाया गया है। ये इस झील में पनप रही सिल्वर और ग्रास कार्प, गोल्डन महाशीर आदि मछलियों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो गया है। जिला विकास प्राधिकरण के सचिव विजयनाथ शुक्ल ने बताया की जानकारी मिलते ही विभाग ने मांगुर मछलियों को निकालने की तैयारी शुरू कर दी है।