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Tuesday, March 18, 2025

फसलों का उत्पादन बढ़ाएंगे नीम-जिंक के नैनो पार्टिकल्स

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भोंपूराम खबरी,पंतनगर । जिंक (जस्ता) महत्वपूर्ण और शरीर के लिए अत्यंत | सूक्ष्म पोषक तत्व है। जीबी पंत कृषि विवि के वैज्ञानिक डॉ. जीके द्विवेदी, डॉ. संजीव साहू, डॉ. जयपाल और डॉ. मधु द्विवेदी ने नीम की पत्तियों के सहयोग से जिंक के नैनो कण तैयार किए हैं इनका आकार 74- 148 नैनोमीटर (औसतन 111 नैनोमीटर) है, जो फसलों की पत्तियों पर मौजूद स्टोमेटा से काफी कम है।

इस आकार के नैनी कण स्टोमेटा के रास्ते पौधों के टिश्यू में आसानी से पहुंचते और उनके मेटाबोलिज्म पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। वैज्ञानिकों को इस तकनीक का पेटेंट भी हासिल हो गया है। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि जिंक की आवश्यकता संक्रमित बच्चे, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अधिक होती है।

इसकी कमी से शारीरिक वृद्धि अवरुद्ध हो जाती है, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और रोग अवरोधी क्षमता भी प्रभावित हो जाती है। जिंक पोषक तत्व की शरीर को रोजाना औसतन 7.4 मिग्रा. की आवश्यकता होती है वैज्ञानिकों के इस शोध के जरिये जिंक नैनो कणों के प्रयोग जिंकयुक्त फसलों की पैदावार को सुरक्षित तरीके से बढ़ाया जा सकता है इसका पर्यावरण पर भी कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। नैनो पार्टिकल का किसी भी फसल, सब्जी और फल आदि के उत्पादन में उपयोग किया जा सकता है।

जिंक नैनो कणों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए उन्हें पत्तियों पर स्प्रे, बीज को घोल में अवशोषित और जड़ों को भिगोकर मिट्टी में लगाया गया। परिणाम में बीज का सौ प्रतिशत जमाव हुआ धान, चना, मूंग व उड़द पर 20 पीपीएम, गेहूं मटर, चना मसूर व मक्का पर 50 पीपीएम और जी पर 100 पीपीएम आंका गया। मसूर , धान व मक्का में बीज जमाव की अवधि एक से शोध के परिणाम तीन दिन और गेहूं, मटर, धान व मक्का के बीज का पांच दिन में जमाव हो गया। वह जल में सात से 10 दिन के बीच होती है। धान व मूंग में फसलों की वृद्धि और पैदावार पर नीम-जिंक नैनो कणों के स्प्रे का प्रभाव 50 पीपीएम पर धान में सर्वोत्तम पाया गया।

जिंक को मिट्टी में मिलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी

बायोफोर्टिफिकेशन विधि से अधिक उत्पादन देने वाली फसलों में नैनो टेक्नोलॉजी के सहयोग से जिंक की कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है सूक्ष्म पोषक तत्वों की मिट्टी में उपयोग क्षमता पांच प्रतिशत से भी कम है।मृदा में रासायनिक अभिक्रियाओं से स्थिरीकरण हो जाता है। जल के साथ रिसाव से पोषक तत्व पौधों की जड़ों से दूर चले जाते हैं।”फसलों में जिंक बढ़ाने के लिए जिंक नैनो कर्णों को संश्लेषित कर स्प्रे किया जा सकता है। इससे जिंक को मिट्टी में मिलाने की जरूरत नहीं होती है।

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