
भोंपूराम खबरी। कुमायूँ में साइबर ठगी और भूमि धोखाधड़ी पर पुलिस का सख्त प्रहार, आईजी रिद्धिम अग्रवाल ने दिए त्वरित कार्रवाई के निर्देश।। वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाने वाले साइबर अपराधियों पर कसेगा शिकंजा, तकनीकी साक्ष्य व धनराशि रिकवरी को प्राथमिकता।– पीडितों ने स्वयं उपस्थित होकर बताई आप बीती ।

*“फर्जी रजिस्ट्री और बढ़ा-चढ़ाकर भूमि विक्रय करने वालों पर होगी संपत्ति जब्ती की कार्रवाई।*
*साइबर अपराध रोकथाम में युवाओं की भूमिका अहम, स्कूल–कॉलेजों में जागरूकता अभियान तेज।*
*गुण-दोष के आधार पर निष्पक्ष विवेचना और निर्णायक कार्रवाई से अपराधियों में भय, जनता में विश्वास।*
*कुमायूँ परिक्षेत्र में संगठित अपराध, साइबर ठगी व भूमि धोखाधड़ी पर सख्त रुख — आईजी रिद्धिम अग्रवाल*
कुमायूँ परिक्षेत्र में अपराध नियंत्रण को और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से आज दिनांक 19 दिसंबर 2025 को पुलिस महानिरीक्षक कुमायूँ परिक्षेत्र श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल द्वारा परिक्षेत्र के विभिन्न थानों में पंजीकृत महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील अभियोगों की विस्तृत समीक्षा की गई। इस क्रम में कैम्प कार्यालय, हल्द्वानी में क्षेत्राधिकारियों विवेचकों एवं अभियोग से सम्बन्धित वादियों के साथ एक समीक्षा गोष्ठी आयोजित की गई।

गोष्ठी में विशेष रूप से, वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी साइबर धोखाधड़ी तथा लैण्ड फ्रॉड से सम्बन्धित मामलों पर गंभीर मंथन किया गया।
*वरिष्ठ नागरिकों को साथ साईबर ठगी के प्रमुख अभियोग*
केस-1- वादी का नाम:
प्रकाश चन्द्र उप्रेती पुत्र स्व0 धर्मानन्द उप्रेती
निवासी: नीलांचल कॉलोनी, फेस–3, डहरिया, हल्द्वानीघटना का संक्षिप्त विवरण:
वादी द्वारा वर्ष 2021 में भारती एक्सा लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी से दो ऑनलाइन बीमा पॉलिसियाँ खरीदी गई थीं। पॉलिसी की धनराशि निकालने के संबंध में वादी को एक अज्ञात मोबाइल नंबर से स्वयं को बीमा लोकपाल अधिकारी, हैदराबाद बताने वाले व्यक्ति द्वारा कॉल किया गया। अभियुक्त द्वारा बताए अनुसार वादी से विभिन्न बैंक खातों एवं यूपीआई माध्यम से कुल ₹3,97,200/- जमा कराए गए, जिसे धोखाधड़ीपूर्वक हड़प लिया गया।
केस-2 वादी का नाम:
हर्षवर्धन कुमार शर्मा पुत्र कैलाश चन्द्र शर्मा
निवासी: मकान संख्या A-14, तपस्या विहार कॉलोनी, गंगापुर रोड, ट्रांजिट कैम्प घटना का संक्षिप्त विवरण:
अज्ञात अभियुक्त द्वारा वादी को टेलीग्राम ऐप के माध्यम से शेयर मार्केटिंग से संबंधित एक लिंक भेजा गया तथा अधिक मुनाफा कमाने का लालच दिया गया। अभियुक्त द्वारा स्वयं को डिजिटल कॉमर्स 360 नामक शेयर मार्केटिंग ऐप से संबंधित दर्शाते हुए, फर्जी एवं भ्रामक तरीकों से ऐप के लाभ प्रदर्शित किए गए। अभियुक्तों ने कंप्यूटर व अन्य तकनीकी संसाधनों का प्रयोग कर वादी से ऑनलाइन माध्यम से कुल ₹9,57,000/- की धनराशि धोखाधड़ी ।
वरिष्ठ नागरिकों के साथ हो रही साइबर ठगी की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने ऐसे मामलों में तकनीकी साक्ष्यों के सुदृढ़ संकलन, त्वरित अनावरण तथा ठगी गई धनराशि की शीघ्र रिकवरी को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। साथ ही साथ आई0 जी0 कुमायूँ द्वारा अवगत कराया गया कि साईबर अपराधों से निपटने के लिए समस्त वरिष्ठ /पुलिस अधीक्षक एस0टी0एफ0 से समन्यव स्थापित करते हुए एक टीम की तरह कार्य करें ।
*वरिष्ठ नागरिकों हेतु साइबर जागरूकता संदेश*
वरिष्ठ नागरिकों के साथ हो रही साइबर ठगी की घटनाओं की रोकथाम हेतु परिक्षेत्र के समस्त जनपद प्रभारियों को निर्देशित किया गया है कि विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में साइबर जागरूकता अभियान संचालित करें। इस अभियान के माध्यम से छात्र–छात्राओं को प्रेरित किया जाए कि वे अपने घरों व रिश्तेदारी में रहने वाले बुजुर्गों को साइबर धोखाधड़ी के प्रति जागरूक करें।
बुजुर्गों को बताया जाए कि पेंशन, बैंक या केवाईसी के नाम पर आने वाले किसी भी अनजान कॉल, मैसेज या लिंक का जवाब न दें तथा किसी भी प्रकार की गोपनीय जानकारी साझा न करें। किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज की सूचना तत्काल नजदीकी पुलिस थाना अथवा साइबर हेल्पलाइन को दें।
*भूमि से जुडे धोखाधडी ( लैण्ड फ्राड) प्रमुख अभियोग*
केस-1 घटना का संक्षिप्त विवरण:
जनपद नैनीताल के थाना भवाली क्षेत्रान्तर्गत ग्राम बसगाँव में स्थित 13 नाली 7 मुठ्ठी भूमि का दिनांक 16-08-2024 को जनकिशन एवं मुरलीधर पुत्र हरिदत्त द्वारा फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से मोहन सिंह, निवासी ग्राम छिपी के नाम रजिस्ट्री की गई।
स्थानीय ग्रामवासियों के अनुसार उक्त नाम का कोई भी व्यक्ति ग्राम बसगाँव अथवा आसपास के क्षेत्र में निवास नहीं करता। विवेचना के दौरान यह तथ्य सामने आया कि रजिस्टार कार्यालय से प्राप्त आधार कार्ड को सत्यापन (रन) कराए जाने पर रिपोर्ट शून्य (Nil) पाई गई।
इसके अतिरिक्त रजिस्ट्री के दौरान प्रस्तुत किए के मोबाइल नंबरों की जांच करने पर ज्ञात हुआ कि उक्त जिनमें से एक नंबर गुजरात तथा दूसरा राजस्थान राज्य से संबंधित पाया गया।गवाहों को भी ₹1500–₹1500 में खरीदे गए थे,
केस -2 घटना का संक्षिप्त विवरण:
दीवीदयाल पुत्र स्व0 धनी राम, निवासी बाजपुर द्वारा वर्ष 2012 में ग्राम हरिपुरा, बाजपुर स्थित खसरा संख्या 259-द, मिन 358/2, कुल रकबा लगभग ढाई एकड़, मौजा पडापुर में स्थित भूमि को अनिल चन्द सैन से क्रय किया गया था। दोनों पक्षों के मध्य अच्छे संबंध होने के कारण अनिल चन्द सैन द्वारा उक्त भूमि पर खेती का कार्य किया जाता रहा तथा भूमि का दाखिल–खारिज नहीं कराया गया।
इसी दौरान वादी के पिता के निधन के पश्चात अनिल चन्द सैन द्वारा उक्त भूमि को किसी अन्य व्यक्ति के नाम विक्रय कर दिया गया, जिससे भूमि संबंधी धोखाधड़ी का मामला प्रकाश में आया।
*भूमि धोखाधडी के संबंध में क्षेत्राधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि भूमि अपराधों में संलिप्त व्यक्तियों की जानकारी एकत्र कर उनके विरुद्ध निरोधात्मक कार्यवाही की जाए तथा भविष्य में आम जनता को ऐसे व्यक्तियों से सतर्क किए जाने हेतु रजिस्टार कार्यालय में उनका विवरण चस्पा किया जाना सुनिश्चित किया जाए।*
*नये आपराधिक कानून में धारा 107 बीएनएसएस के अंतर्गत पीड़ित को मुआवज़ा दिलाए जाने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है। इसके तहत अभियुक्त की अपराध से अर्जित संपत्ति के जब्तीकरण की आख्या जिलाधिकारी को प्रेषित की जाएगी, ताकि अपराध से अर्जित संपत्ति अथवा उससे प्राप्त धनराशि पीड़ित को मुआवज़े के रूप में प्रदान की जा सके।*
समस्त विवेचकों को निर्देशित किया जाता है कि वे इस प्रावधान का अधिकतम एवं प्रभावी प्रयोग सुनिश्चित करें। तभी हम वास्तविक अर्थों में पीड़ित–केंद्रित पुलिसिंग (Victim Centric Policing) को सशक्त रूप से लागू कर पाएँगे और पीड़ितों को त्वरित न्याय व राहत सुनिश्चित कर सकेंगे।
उपरोक्त दोनों प्रकरणों में आई0जी0 महोदया द्वारा विवेचकों निर्देश किया कि गुण दोष के आधार पर विवेचनात्मक कार्यवाही कर जितने भी लोग अभियोग से सम्बन्धित आपराधिक घटना में शामिल है उनके विरुद्ध सम्पत्ति जब्तिकरण की कार्यवाही की जाये ।
इसके अतिरिक्त, भूमि से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में दस्तावेजों की सूक्ष्म जांच, राजस्व अभिलेखों के समन्वय तथा संगठित गिरोहों की पहचान कर उनके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए गए।
आईजी ने सभी अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया कि विवेचनाओं की गुणवत्ता से कोई समझौता न किया जाए तथा अपराधियों के विरुद्ध कानून के दायरे में रहते हुए निर्णायक और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, जिससे आमजन का पुलिस पर विश्वास और अधिक सुदृढ़ हो।


