भोंपूराम खबरी। लियोनिड्स उल्का की भीषण बारिश को लेकर खगोल विज्ञानियों और अंतरिक्ष में दिलचस्पी रखने वाले लोगों में उत्सुकता का माहौल है। अब 22 साल बाद आसमान में लियोनिड्स उल्का की बारिश के आसार बन रहे हैं। खगोलविदों के मुताबिक 16 और 17 नवम्बर की मध्यरात्रि को लियोनिड्स उल्का की बारिश चरम पर होने की संभावना है। तब सामान्य से अधिक उल्काएं आसमान में टूटते तारे जैसी नजर आएंगी। ये तब होता है जब हमारी पृथ्वी ‘धूमकेतु टेंपल-टटल’ द्वारा छोड़े गए मलबे से होकर गुजरती है। इस धूमकेतु को सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाने में करीब 33 साल का लंबा वक्त लगता है। लियोनिड्स उल्का बौछार प्रतिवर्ष नवंबर में सक्रिय होती है।
33 साल में बनती है ये स्थिति
लियोनिड्स वह विकिरण बिंदु या आकाश में वह बिंदु है, जहां से उल्काएं निकलतीं हुईं प्रतीत होती हैं। लियोनिड्स उल्का बौछार हर साल होती है, लेकिन माना जाता है कि उल्का वर्षा की स्थिति 33 साल बाद बनती है। इस बार 2002 के बाद 2024 में लियोनिड्स उल्का वर्षा के आसार बन रहे हैं। उल्का वर्षा की गतिविधि तीन नवंबर से शुरू होकर दो दिसंबर तक जारी रहेगी। यह 16 और 17 नवम्बर की रात चरम पर रह सकती है।
2002 में देखा गया था ये नजारा
लियोनिड की बौछार प्रत्येक 33 वर्षों में उल्कापिंड में बदल जाती है। जब ऐसा होता है तो प्रत्येक घंटे सैकड़ों से हजारों उल्काएं देखी जा सकती हैं। आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान नैनीताल के वैज्ञानिक डॉ.इंद्रनील चट्टोपाध्याय के मुताबिक अंतिम लियोनिड उल्का वर्षा/तूफान 2002 में आया था। इसी तरह 1833, 1866, 1966, 1999 में भी ऐसे नजारे देखे गए थे। इस साल लियोनिड्स उल्का वर्षा नवंबर के तीसरे सप्ताह में होगी। ये सालभर की सबसे महत्वपूर्ण उल्का वर्षाओं में से एक है।