भोंपूराम खबरी।
सुलझने लगी डार्क मैटर की पहेली
डार्क मैटर ब्रह्माण्ड की महाशक्ति है। यह अदृश्य है और ब्रह्माण्ड का निरंतर संचालन कर रहा है या फिर ब्रह्माण्ड का विकास इसीके जरिए हो रहा है। ब्रह्माण्ड के विशाल हिस्से में फैले होने के बावजूद पहेली बना हुआ है। मगर अब वैज्ञानिक इस पहेली थोड़ा समझने का दावा कर रहे हैं। आइए, जानते हैं क्या कहते हैं वैज्ञानिक।
नया शोध
शोधकर्ता वैज्ञानिकों का कहना है कि नए शोध में प्रकाश के गुरुत्वीय झुकाव के जरिए इसे समझने का प्रयास किया है। जिसे समझने के लिए महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन की थ्योरी पर आधारित रिंग्स का सहारा लिया गया है। यह समझ लीजिए कि केवल तारों व आकाशगंगाओं पर होने वाले अप्रत्यक्ष प्रभावों से डार्क मैटर को जानते हैं । डार्क मैटर की प्रकृति एक लंबी व अजीबोगरीब पहेली है। हांगकांग विश्वविद्यालय के अल्फ़्रेड अमरुथ और उनके सहयोगियों द्वारा नेचर एस्ट्रोनॉमी में यह शोध प्रकाशित किया गया है। डार्क मैटर के मौजूदगी का सबूत आकाशगंगाओं के व्यवहार में इसके गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव हैं।
ब्रह्माण्ड में 85 फीसद हिस्से में फैला है यह काला रहस्य
ब्रह्माण्ड में 85 फीसद हिस्सा डार्क मैटर का है। दूर की आकाशगंगाएँ रहस्यमय पदार्थ के प्रभामंडल से घिरी हुई प्रतीत होती हैं। डार्क मैटर एक अंधियारा हिस्सा है, जो प्रकाश नहीं देता है और ना ही प्रकाश को अवशोषित या प्रतिबिंबित कर पाता है। जिस कारण इसका पता लगाना अविश्वसनीय रूप से कठिन हो जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह किसी प्रकार का अज्ञात मौलिक कण होना चाहिए। मगर आश्चर्यजनक बात यह है कि प्रयोगशाला में अनेकों बार प्रयोग किए जाने के बावजूद डार्क मैटर कणों का पता लगाने में सभी प्रयास विफल रहे हैं। इस अदृश्य पदार्थ को लेकर भौतिक विज्ञानी दशकों से इसकी प्रकृति पर बहस करते आ रहे हैं।
ब्रह्माण्ड में 85 फीसद हिस्से में फैला है यह काला रहस्य
ब्रह्माण्ड में 85 फीसद हिस्सा डार्क मैटर का है। दूर की आकाशगंगाएँ रहस्यमय पदार्थ के प्रभामंडल से घिरी हुई प्रतीत होती हैं। डार्क मैटर एक अंधियारा हिस्सा है, जो प्रकाश नहीं देता है और ना ही प्रकाश को अवशोषित या प्रतिबिंबित कर पाता है। जिस कारण इसका पता लगाना अविश्वसनीय रूप से कठिन हो जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह किसी प्रकार का अज्ञात मौलिक कण होना चाहिए। मगर आश्चर्यजनक बात यह है कि प्रयोगशाला में अनेकों बार प्रयोग किए जाने के बावजूद डार्क मैटर कणों का पता लगाने में सभी प्रयास विफल रहे हैं। इस अदृश्य पदार्थ को लेकर भौतिक विज्ञानी दशकों से इसकी प्रकृति पर बहस करते आ रहे हैं।
आकाशगंगाओं के चारों ओर झुका हुआ प्रकाश डार्क मैटर के अस्तित्व का नया सुराग है
नए शोध में यह पता चलता है कि दूर की आकाशगंगाओं के चारों ओर झुका हुआ प्रकाश डार्क मैटर के अस्तित्व का नया सुराग प्रदान करता है। नए शोध में वैज्ञानिकों का तर्क है कि जब ब्रह्मांड के माध्यम से यात्रा करने वाला प्रकाश आकाशगंगा जैसी विशाल वस्तु से गुजरता है, तो उसका मार्ग मुड़ा हुआ होता है। यह झुकता है । अल्बर्ट आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत में विशाल वस्तु का गुरुत्वाकर्षण अपने चारों ओर अंतरिक्ष और समय को विकृत करता है। कभी-कभी दूर की आकाशगंगा को देखते हैं तो हम उसके पीछे अन्य आकाशगंगाओं के विकृत चित्र देख सकते हैं।
यह राज भी नही रहेगा राज
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि नया शोध डार्क मैटर को समझने में एक कदम आगे बढ़ना जैसा है। मगर यह रहस्य लंबे समय तक राज नही रह पाएगा। आए दिन नई तकनीक विकसित हो रही है। ब्रह्माण्ड में दूर तक देख पाने की क्षमता में निरंतर विकास हो रहा है। जिसके चलते उम्मीद है कि इसे जल्द समझ पाएंगे।
श्रोत: अर्थ स्काई।
फोटो: नासा।