भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। हर साल की भांति इस वर्ष भी शैल सांस्कृतिक समिति द्वारा नारायणी पुर्णिमा,श्रावणी पूर्णिता रक्षा बंधन के दिन शैल भवन परिसर में ऋषि तर्पण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जहां पर्वतीय समाज के लोगों ने सामाजिक दूरी के साथ जन्यो-पुन्यो धार्मिक अनुष्ठान के तहत मंत्रोच्चारण के बीच जनेऊ का शुद्धिकरण करते हुए धारण किया। उनका कहना था कि ऋषि तर्पण नारायणी,श्रावधी और कजरी पूर्णिता के रुप में पूरे भारतवर्ष में श्रद्धा एवं सदभाव के साथ मनाया जाता है।
परिषद के महामंत्री एडवोकेट दिवाकर पांडेय की मौजूदगी में शैल भवन परिसर में ऋषि तर्पण प्रारंभ हुआ। जिसमें पंडित दयाकृष्ण मुरारी व सतीश चंद्र लोहनी द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ शंखनाद कर पूजा प्रारंभ की। इस दौरान बड़ी संख्या में पर्वतीय समाज के लोगों ने जनेऊ भी धारण किया। उनका कहा था कि जनेऊ बदलने का वैदिक पर्व है। जनेऊ में 96चक्र,9600ऋचाओं यानि दो लोको का प्रतीक माना जाता है। कहाकि तीन धागे सूत्र शरीर,वाणी एवं मन मस्तिस्क को वश में करने का माध्यम है। क्षत्रीय वर्ग तीन सूत्रों की जनेऊ इसीलिए धारण करते है। ब्राहम्ण वर्ग को जप,तप व ध्यान रुपी तीन अतिरिक्त सूत्र धारण किया जाता है। एक ओर रक्षाबंधन भाईचारे,प्रेम व समर्पण का पर्व है। वहीं ऋषि तर्पण आस्था एवं संस्कृति का प्रतीक माना गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए रक्षाबंधन के दिन ऋषि तर्पण मनाया जा रहा है। इस मौके पर गोपाल सिंह पटवाल,दिनेश भट्ट,नरेंद्र रावत,दयाकृष्ण दनाई,मोहन उपाध्याय,चंद्रबल्लभ घिल्डियाल,मनोज शर्मा,कैलाश कांडपाल,दिनेशचंद्र पंत,अतुल पांडेय,सुदर्शन सिंह आदि मौजूद थे।