भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। शासन द्वारा कोविड कर्फ्यू एक हफ्ता और बढ़ाए जाने के चर्चाओं के बीच नगर के व्यापारियों में रोष छा गया है। व्यापारियों का कहना है कि बीते लगभग दो माह से लॉकडाउन का दंश झेल रहे वह व उनके परिवार आर्थिक रूप से टूट चुके हैं। अब अगर कर्फ्यू को एक सप्ताह और बढ़ाया जाता है तो उन्हें अपने परिवारों को लेकर सड़क पर उतरना होगा।
ज्ञात हो कि प्रदेश में दो माह से जारी कर्फ्यू में बीते दो सप्ताह में कुछ ढील अवश्य दी गयी लेकिन मात्र बीस तरह के व्यापार में छूट दिए जाने से अधिकांश दुकानें अभी बंद ही पड़ी हैं। लघु व्यवसायी, होटल व रेस्टोरेंट स्वामी, जिम संचालक, पैकिंग मटेरियल आदि कई व्यवसाय पूर्ण रूप से बंद हैं। वहीं सीमेंट, सरिया, खाद, इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रिकल उत्पाद सहित कुछ अन्य व्यापार और यहाँ तक कि राशन की दुकानें भी मात्र एक अथवा दो दिन के लिए खोले जाने की अनुमति से इन व्यापारियों में आक्रोश बढ़ रहा है। व्यापारियों ने यहाँ तक कहा कि जिन आर्थिक हालत में वह पहुँच गए हैं ऐसे में लॉकडाउन बढ़ने पर उनके समक्ष सामूहिक आत्महत्या के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं होगा।
लॉकडाउन से पूर्व कपड़े का ढेर सारा माल मंगाया था। लेकिन दो महीने से दुकान बंद है। सप्ताह में एक दिन की छूट देकर सरकार समझती है कि हम अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकते हैं। सरकार को व्यापारी वर्ग की तकलीफ से कोई लेना-देना नहीं है। पड़ोसी राज्य यूपी में इतने ज्यादा कोरोना केस आने के बाद भी वहां लॉकडाउन खोल दिया गया है। हम अब सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे। —— पवन कुमार गाबा पल्ली, स्थानीय व्यापारी
शासन अगर फिर से कर्फ्यू बढ़ाता है तो व्यापारी वर्ग तबाह हो जायेगा। हम छोटे दुकानदार हैं। लॉकडाउन के शुरूआती पंद्रह दिनों में ही हमारी थोड़ी सी जमा-पूंजी खत्म हो गयी। रोज की दुकानदारी से ही हम घर चलाते हैं। अब अगर कर्फ्यू बढ़ा तो समझ नहीं आ रहा कि घर खर्च कैसे पूरे कर पाएंगे? सरकार संवेदनहीन हो गयी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी व्यापारियों को कारोबार में छूट दी गयी है। —– सोनू चावला, स्थानीय व्यापारी
शादी-ब्याह के अवसर पर लाइटिंग का काम करते हैं। बीते लम्बे समय से कारोबार ठप पडा है। अब कोरोना की रफ़्तार कम होने से उम्मीद थी कि सरकार हम जैसे लोगों के बारे में भी सोचेगी। लेकिन लॉकडाउन बढ़ने की आशंका से तनाव बढ़ गया है। स्थिति यही रही तो व्यापारी वर्ग अगले कई सालों तक खड़ा नहीं हो पायेगा। वैसे भी ऐसी स्थितियों में व्यापारी ही सबसे अधिक मरता है और न ही सरकार से आज तक कभी कोई राहत मिली है। ——-राकेश सुखीजा, स्थानीय व्यापारी
देश की अर्थव्यवस्था में व्यापारी सबसे ज्यादा योगदान देता है। लेकिन सरकार को कोरोना महामारी के बीच व्यापारियों पर ही डंडा चलाना आता है। क्षेत्र में सभी फैक्ट्रियों को खोले जाने की अनुमति दी गयी है। यह पूंजीपतियों को प्रेम करने वाली सरकार है। व्यापारी मरें या जीयें इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। अब कर्फ्यू बढ़ा तो हम सड़कों पर बैठ जायेंगे। —– रोहित जगा, स्थानीय व्यापारी
समझ में नहीं आ रहा कि प्रदेश सरकार आखिर चाहती क्या है ? सूबे के मुखिया तीरथ सिंह रावत ने व्यापारियों के शिष्टमंडल को दस दिन पूर्व वादा किया था कि कर्फ्यू को लेकर सकारात्मक निर्णय लिया जायेगा। लेकिन परिस्थितियां कुछ और ही इशारा कर रही हैं। यदि सरकार चाहती है कि व्यापारी वर्ग अपने परिवारों से साथ सामूहिक आत्महत्या कर ले तो लॉकडाउन बढ़ाये। हम भी आन्दोलन से लेकर अपनी जान दांव पर लगाने को तैयार हैं। —–संजय जुनेजा, अध्यक्ष उद्योग व्यापार मंडल रुद्रपुर