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Monday, October 14, 2024

अल्मोड़ा स्थित IMPCL निजि हाथों में जा सकती है, स्थानीय लोगों से छिन सकता है रोजगार

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अल्मोडा।इण्डियन मेडिसिन्स फार्मास्यूटिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के मोहान में स्थित है। IMPCL की स्थापना 1978 में हुई थी तथा आयुष मंत्रालय के अधीन शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधियों के निर्माण का भारत सरकार का एकमात्र प्रतिष्ठान है। वर्तमान समय में विनिवेश मंत्रालय द्वारा निगम की विनिवेश प्रक्रिया की जा रही है। जिस से यहां काम करने वाले हजारों लोगों का रोजगार छिन सकता है।

आईएमपीसीएल फैक्ट्री को निजी हाथों में देने की प्रक्रिया से यहां काम करने वाले स्थानीय लोग बेहद ही परेशान हैं। आपको बता दें कि मोहान स्थित आईएमपीसीएल फैक्ट्री में हिमालयन जड़ी-बूटी से दवा निर्माण होता है। इसके साथ ही ये देश की एकमात्र ऐसी कम्पनी है जहां पर यूनानी दवाओं का निर्माण किया जाता है। इसमें लगभग 500 कर्मचारियों को नौकरी और 5000 किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है। कंपनी को निजि हाथों में सौंपे जाने के फैसले के बाद से यहां काम कर रहे लोग चिंता में हैं।

आईएमपीसीएल फैक्ट्री को निजी हाथों में देने की प्रक्रिया से यहां काम करने वाले स्थानीय लोग बेहद ही परेशान हैं। आपको बता दें कि मोहान स्थित आईएमपीसीएल फैक्ट्री में हिमालयन जड़ी-बूटी से दवा निर्माण होता है। इसके साथ ही ये देश की एकमात्र ऐसी कम्पनी है जहां पर यूनानी दवाओं का निर्माण किया जाता है। इसमें लगभग 500 कर्मचारियों को नौकरी और 5000 किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है। कंपनी को निजि हाथों में सौंपे जाने के फैसले के बाद से यहां काम कर रहे लोग चिंता में हैं।

IMPCL में आयुर्वेद और यूनानी औषधि निर्माण की आधुनिकतम सुविधाएं और मशीनरी विद्यमान है। आईएमपीसीएल के पास 1200 प्रकार की शास्त्रीय औषधि निर्माण के लाईसेंस हैं। वर्तमान में निगम द्वारा लगभग 350 प्रकार की उच्च गुणवत्ता युक्त आयुर्वेदिक और 125 प्रकार की यूनानी औषधियों का निर्माण कर देश के केन्द्रीय अस्पतालों, रिसर्च संस्थानों एवं राज्य सरकार के अस्पतालों में आपूर्ति की जा रही है तथा जैम पोर्टल (Government e market portal) पर भी उपलब्ध है।

निगम की स्थापना का मूल उद्देश्य हिमालयन पर्वतीय राज्य के पिछड़े क्षेत्र का विकास करना, कमजोर वर्ग के व्यक्तियों को रोजगार देना और पर्वतीय राज्य में प्रचुर मात्रा में पायी जाने वाली जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर शास्त्रोगत पद्धति द्वारा उच्च कोटि की आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधियों का निर्माण करना था। वर्तमान समय में निगम में 80 कर्मचारी और अधिकारी समेत लगभग 500 व्यक्ति कार्य कर रहे हैं। जिनमें से अधिकांश कर्मचारी पिछड़े क्षेत्रों एवं कमजोर वर्गों से हैं तथा पिछड़े क्षेत्रों के कमजोर वर्गों के 5000 से अधिक व्यक्ति, किसान और मजदूर आदि जड़ी-बूटी उपज के कार्य, गौमूत्र, कण्डा, मिट्टी के बरतन आदि की बिक्री के माध्यम से अपनी आजीविका के लिये निगम पर निर्भर हैं।

देश में आयुर्वेद के प्रसार के लिए उत्तराखण्ड राज्य के वनक्षेत्र की लगभग 40 एकड़ जमीन निगम को लीज के तौर पर मिली हुई है। स्थानील लोगों और कर्मचारियों का कहना है कि अगर किन्हीं कारणों से निगम का विनिवेश होता है तो निगम खरीददार द्वारा इस भूमि को आयुर्वेदिक औषधि निर्माण के स्थान पर होटल, रिजार्ट आदि के कारोबार में उपयोग करने की अधिक सम्भावना है।

क्योंकि ये भूमि विश्व विख्यात जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की सीमा पर स्थित है। इससे निजी खरीददार को व्यक्तिगत लाभ तो होगा लेकिन स्थानीय निवासियों के रोजगार में वर्तमान स्थिति के मुकाबले बहुत कमी आ जाएगी। यहां तक कि क्षेत्रवासियों को रोजगार की कमी के कारण से पलायन का सामना करना पड़ सकता है।

निगम उत्तराखण्ड राज्य के अत्यन्त पिछड़े और दुर्गम पहाडी क्षेत्र मोहान अल्मोड़ा में स्थित है। IMPCL स्थानीय गरीब परिवारों के रोजगार का एकमात्र साधन है। इसके विनिवेश से पिछड़े और पहाड़ी क्षेत्र में रोजगार के साथ ही पलायन की गम्भीर समस्या उत्पन्न होगी। जिसके कारण से उत्तराखण्ड सरकार द्वारा भी पूर्व में निगम का विनिवेश रोकने के लिए आयुष मंत्रालय से अनुरोध किया गया है। कर्मचारी संघ ने विनिवेश प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की है।

 

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