Monday, August 11, 2025

रुद्रपुर में बाढ़ पीड़ितों का सुशील गाबा ने जाना हाल

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भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर, तराई का वह शहर जो अपनी मेहनत और हरियाली के लिए जाना जाता है, आज एक फिर अनचाही आपदा की चपेट में है। कुछ घंटों की मूसलाधार बारिश ने इस शहर को जलमग्न कर दिया। सड़कें नदियों में बदल गईं, घर पानी से लबालब हो गए, और कल्याणी नदी का उफान लोगों के लिए काल बनता रहा आया। लेकिन इस त्रासदी के बीच, रुद्रपुर की हिम्मत और एकजुटता की कहानी भी उभर रही है।

उत्तराखंड का एक हरा-भरा शहर, जो तराई की गोद में बसा है। यहाँ की मिट्टी मेहनतकश लोगों की कहानियाँ कहती है। लेकिन आज, जनपद ऊधम सिंह नगर का रुद्रपुर एक ऐसी परेशानी का गवाह बना है, जिसने रुद्रपुर की एक बार साँसों को थाम लिया। कुछ घंटों की मूसलाधार बारिश ने रुद्रपुर को जलमग्न कर दिया। आसमान से बरसती आफत ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। सड़कें, गलियाँ, और घर सब पानी की चपेट में हैं। रुद्रपुर में बादल फटने जैसी बारिश ने जनजीवन को ठप कर दिया। कल्याणी नदी, जो इस शहर की जीवनरेखा थी, आज एक बार फिर उफान पर आ गई। तीन पानी डैम से तेज बहाव ने आसपास की बस्तियों को डुबो दिया। जगतपुरा, रविंद्र नगर, मुखर्जी नगर, आजाद नगर, सिडकुल के निचले इलाके, भूतबंगला, और संजयनगर हर जगह पानी ही पानी। गलियाँ, घर, और दुकानें,सब कुछ जलमग्न।

कल्याणी नदी किनारे बसे एक महिला जगतपुरा की रहने वाली एक गृहिणी, बताती हैं, “हमारा सारा सामान डूब गया। बच्चों की किताबें, राशन,कपड़े सब बर्बाद। अब क्या करें?” उनकी आवाज़ में दर्द साफ झलकता है। कल्याणी नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया। जगतपुरा, शिवनगर, भूतबंगला, और रविंद्र नगर की गलियाँ नदियों में तब्दील हो गईं। लोगों के घरों में पानी घुटनों तक पहुँच गया। बच्चे डर से रो रहे थे, बुजुर्ग लाचार बैठे थे, और हर तरफ एक सवाल गूँज रहा था अब क्या होगा?

 

वही इस अंधेरे में एक किरण उभरी सुशील गावा, रुद्रपुर के समाजसेवी, जिनका नाम गरीबों और पीड़ितों की मदद के लिए जाना जाता है। बुधवार की सुबह, जब कल्याणी नदी का जलस्तर बढ़ रहा था, सुशील ने बाढ़ग्रस्त इलाकों में पहुँचकर लोगों को हिम्मत दी। उन्होंने जोरदार आवाज़ में अपील की, “कल्याणी नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। जनहानि का खतरा है। कृपया अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाएँ। हमारी टीम खाने-पीने और इलाज की पूरी व्यवस्था करेगी।” उनकी यह अपील लोगों के लिए एक नई उम्मीद बनी। सुशील ने न सिर्फ लोगों को प्रेरित किया, बल्कि राहत सामग्री का इंतजाम करने का वादा किया। जगतपुरा के एक निवासी कहते हैं, “सुशील भाई हमेशा हमारे लिए खड़े रहते हैं। इस मुश्किल वक्त में भी वे हमारी मदद कर रहे हैं।” ग्रामीणों ने उनकी इस पहल की दिल से सराहना की। सुशील का कहना है, “यह मेरा शहर है, मेरे लोग हैं। इनकी मदद करना मेरा फर्ज है।

 

रुद्रपुर की इस बाढ़ स हालात ने कई सवाल खड़े किए। हर साल जलभराव की समस्या क्यों? नालों की सफाई, बांधों का रखरखाव, और बाढ़ प्रबंधन की रणनीति क्या इन्हें पहले से दुरुस्त नहीं किया जा सकता? लोगों का गुस्सा जायज़ है। लेकिन इस आपदा जैसे हालातों ने यह भी दिखाया कि इंसानियत अभी जिंदा है। सुशील गावा जैसे लोग इसका जीता जागता उदाहरण है जो मुसीबत के समय में अपने शहर और पीड़ित लोगों के लिए किसी भी हालत में उनके साथ खड़े हैं। तो वही स्थानीय समुदाय भी आगे आया। कुछ लोग अपने घरों में बाढ़ पीड़ितों को शरण दे रहे हैं, तो कुछ खाना और कपड़े बाँट रहे हैं। एक युवा, राहुल, बताते हैं, “हमने अपने घर में दस लोगों को जगह दी। यह वक्त एक-दूसरे की मदद करने का है।” यह एकजुटता रुद्रपुर की असली ताकत है। रुद्रपुर की यह बाढ़ की स्थिति एक चेतावनी है। हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाना होगा। नदियों की सफाई, बेहतर जल निकासी व्यवस्था, और मजबूत आपदा प्रबंधन ये कुछ ऐसे कदम हैं जो भविष्य में ऐसी त्रासदी को रोक सकते हैं। लेकिन इस सबके बीच, रुद्रपुर के लोगों की हिम्मत और एकजुटता ने दिखाया कि कोई भी आपदा उनके हौसले से बड़ी नहीं हो सकती। सुशील गावा जैसे लोग, पुलिस, और आपदा प्रबंधन की टीमें इस संकट से लड़ रही हैं।

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