
भोंपूराम खबरी। उत्तराखंड की सड़कों से जुड़े जिस घोटाले को बीते वर्षों में पुराना समझकर भुला दिया गया था, वह एक बार फिर ज़ोरदार तरीके से सामने आ गया है। नेशनल हाईवे-74 मुआवजा घोटाला, जिसकी परतें 2017 में खुलनी शुरू हुई थीं, अब 2025 में एक बार फिर प्रशासन और भ्रष्ट तंत्र की असलियत उजागर कर रहा है। देहरादून में शुक्रवार सुबह PCS अधिकारी डीपी सिंह के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अचानक छापेमारी कर दी, जिसके बाद से पूरे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है।

इस पूरे घोटाले की जड़ें 2011 से 2016 के बीच बिछी थीं, जब काशीपुर, जसपुर, बाजपुर, गदरपुर जैसे क्षेत्रों में एनएच-74 के चौड़ीकरण के लिए किसानों से ज़मीन अधिग्रहित की गई थी। लेकिन किसानों को मुआवज़ा देने के नाम पर ज़मीनों को ‘कृषि’ से ‘वाणिज्यिक’ श्रेणी में दिखाकर करोड़ों रुपये का सरकारी पैसा गलत तरीके से बांटा गया। जिस ज़मीन की कीमत 2-3 लाख प्रति बीघा थी, उसे 20-25 लाख दिखाकर मुआवज़े के नाम पर ₹300 ₹400 करोड़ का घोटाला कर दिया गया। घोटाले में प्रशासनिक अफसर, लेखपाल, दलाल और कुछ राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई थी।
मार्च 2017 में तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर डी. सेंथिल पाण्डियन की रिपोर्ट के बाद SIT का गठन किया गया और 30 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था। PCS अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह (D. P. Singh) ने नवंबर 2017 में सरेंडर किया था और 14 महीने जेल में भी रहे। हाईकोर्ट से उन्हें ज़मानत मिली, लेकिन मामला वहीं ठंडे बस्ते में चला गया था।
अब सालों बाद फिर से ईडी की सक्रियता इस बात की ओर इशारा कर रही है कि जांच एजेंसियां घोटाले के ‘गुंबद’ के अंदर छुपी परतों को खोलने के लिए फिर से कमर कस चुकी हैं। शुक्रवार को देहरादून के एक पॉश इलाके में डीपी सिंह के घर ईडी की टीम ने दबिश दी। सूत्रों के मुताबिक, टीम को कुछ नए बैंकिंग दस्तावेज, मुआवज़ा भुगतान से जुड़ी पुरानी फाइलें और ज़मीन से संबंधित रजिस्ट्री रिकॉर्ड खंगालने की जरूरत थी। सुरक्षा के लिहाज़ से पुलिस बल भी मौके पर तैनात किया गया था।
बताया जा रहा है कि ईडी को कुछ ऐसे लेनदेन की जानकारी मिली है जो मुआवजा वितरण से सीधे तौर पर जुड़े हैं और जिनमें कथित तौर पर रिश्वतखोरी व मनी लॉन्ड्रिंग की बू है। ऐसे में यह छापेमारी सिर्फ एक कार्रवाई नहीं, बल्कि आने वाले दिनों में नए खुलासों की भूमिका बन सकती है। ज़ी मीडिया की टीम ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई का जायजा भी लिया और अधिकारियों से टेलीफोनिक प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, लेकिन कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया ।
साफ है कि NH-74 घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल चुका है। और इस बार जब ये पूरी तरह खुलेगा, तो सिर्फ चंद अफसर नहीं, बल्कि सिस्टम की कई परतें बेनकाब हो सकती हैं। ईडी की इस ताज़ा कार्रवाई से इतना ज़रूर तय है कि जिन फाइलों को दफना दिया गया था,वे अब फिर से उठने लगी हैं और उन फाइलों में शायद कई ‘बड़े नामों’ की गर्द भी छुपी हो ।