भोंपूराम खबरी। इंडिया गठबंधन ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा में नेता विपक्ष चुन लिया है। लोकसभा स्पीकर चुनाव से महज एक दिन पहले इंडिया अलायंस की बैठक में यह फैसला लिया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद केसी वेणुगोपाल ने मंगलवार रात खड़गे के घर हुई इंडिया गठबंधन की मीटिंग के बाद जानकारी देते हुए कहा कि इस मीटिंग में राहुल गांधी को सदन में नेता प्रतिपक्ष बनाने को लेकर चर्चा हुई। कांग्रेस संसदीय दल के नेता ने प्रोटेम स्पीकर को चिट्ठी लिखकर जानकारी दी। बैठक में लोकसभा स्पीकर के मुद्दे पर भी चर्चा हुई है।
राहुल गांधी अपने राजनीतिक करियर में पहली बार किसी संवैधानिक पद पर बैठेंगे। इस लोकसभा इलेक्शन में राहुल गांधी ने एक नहीं बल्कि दो लोकसभा सीटों से चुनाव जीता है। वह रायबरेली और वायनाड की सीट जीते हैं। हालांकि, उन्होंने इसमें से वायनाड की सीट छोड़ने का फैसला किया है। यहां से उपचुनाव में राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी।
मीटिंग में शामिल हुए ये नेता
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर हुई बैठक में कांग्रेस सांसद और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन एवं कल्याण बनर्जी, समाजवादी के रामगोपाल यादव, डीएमके के टीआर बालू, आरजेडी के सुरेंद्र यादव, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, शिवसेना (UBT) के अरविंद सावंत, आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल मौजूद थे।
नेता प्रतिपक्ष के लिए कितनी सीटें चाहिए
10 साल बाद कांग्रेस को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद मिला है। विपक्ष के नेता का पद पाने के लिए लोकसभा की कुल सीटों में से 10 प्रतिशत सीटें सुरक्षित होनी चाहिए। यानी 55 सांसद चाहिए। 2014 और 2019 में कांग्रेस न्यूनतम संख्या के आंकड़े से भी दूर रही। हालांकि, इस बार स्थिति थोड़ी अलग है। इस बार कांग्रेस पार्टी के पास 99 सांसद हैं। ऐसे में कांग्रेस के पास सरकार को घेरने का अच्छा मौका है।
इसीलिए कांग्रेस राहुल को विपक्ष का नेता बनाना चाहती थी। 9 जून को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में कांग्रेस ने राहुल को विपक्ष का नेता नियुक्त करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। राहुल ने उस प्रस्ताव को इतने समय तक लटकाए रखा। कांग्रेस के युवराज करीब 3 दशक से सक्रिय राजनीति कर रहे हैं। वह पहले भी पार्टी के अध्यक्ष थे। लेकिन कभी किसी संवैधानिक पद पर नहीं बैठे। यह पहली बार है जब कांग्रेस ने राहुल को किसी संवैधानिक पद पर नियुक्त किया है। नेता प्रतिपक्ष का पद कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है। इसके अलावा ईडी-सीबीआई-सतर्कता अधिकारियों की नियुक्ति में भी उनका हाथ होता है। अगर राहुल यह पद संभालते हैं तो राष्ट्रीय राजनीति में उनका अपना महत्व बढ़ जाएगा।