भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। नगर निगम बोर्ड की बैठक में कांग्रेसी पार्षद और स्थानीय विधायक के आमने-सामने आने पर हंगामेदार हो गई। बहस के दौरान पार्षद और विधायक के बीच जमकर अपशब्दों का प्रयोग किया गया। इससे न सिर्फ सदन की गरिमा तार-तार हुई बल्कि विधायक और पार्षद ने भी अपने पद का ख्याल न रखते हुए शालीनता की सारी सीमाएं लांघ दी। विधायक के बिगड़े बोल में झलक रही सत्ता की हनक के आगे पार्षद नहीं झुका और उनका जमकर सामना किया। बीच-बचाव को आये मेयर रामपाल सिंह ने सदन की गरिमा का हवाला देकर दोनों को शांत कराया। बैठक में कई प्रस्ताव पास किये गये और साथ ही कई पुराने प्रस्ताव पर चर्चा भी हुई।
निगम की बोर्ड बैठक में दुकानों के किराया वृद्धि को लेकर हंगामे के आसार पहले ही नजर आ रहे थे। कांग्रेस महानगर अध्यक्ष जगदीश तनेजा टीम के साथ बैठक से पूर्व से ही नगर निगम के कार्यालय में पहुंच गये थे। सदन ने बैठक के प्रारंभ में ही माहौल भांपते हुए किराया वृद्धि को हटाने का निर्णय कर दिया गया। इसके लिए एक कमेटी गठित किया जाना तय किया गया जिसमें एक पार्षद कांग्रेस और दूसरा भाजपा का रखे जाने पर भी सहमति बनी। बैठक अभी चल ही रही थी कि पार्षद मोनू निषाद ने पूर्व के प्रस्ताव पर हुए कार्यों पर प्रकाश डालने पर जोर दे दिया। निगम की आयुक्त रिंकू बिष्ट अपनी बात रख ही रही थी कि अगला सवाल नामित पार्षद महावीर सिंह ने दाग दिया। उन्होंने कहा कि वह शासन से नामित हैं इसलिए उनका नाम वार्ड में होने वाले विकास कार्यों में शामिल कर शिलापट्ट पर लिखा जाना चाहिए। इसके साथ ही निगम की सारी सुविधाएं और वार्ड से दिए जाने वाले प्रस्ताव में भी उन्हें शामिल किया जाना चाहिए। इस बात पर कांग्रेस पार्षदों ने आपत्ति जताई। साथ ही भाजपा पार्षद प्रमोद शर्मा भी अपने स्थान से खड़े हो गए और कहा कि यह नामित पार्षद ही विकास कार्य में बाधक बन रहे हैं। भाजपा से नामित पार्षद होने के बाद भी यह दिक्कत पैदा करते हैं। ऐसे में यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया कि भला भाजपा पार्षदों के वार्ड में ही नामित पार्षद रखे जाने की क्या जरूरत थी। विधायक राजेश शुक्ला अभी उनके सवाल का जवाब दे ही रहे थे कि भूरा रानी से कांग्रेस पार्षद मोहन खेड़ा ने इस पर विरोध जता दिया, जिसको लेकर विधायक राजकुमार ठुकराल और मोहन खेड़ा आमने-सामने आ गए। दंबग विधायक के आगे विपक्षी पार्षद ने खुलकर मोर्चा खोल दिया। इस दौरान जमकर अपशब्दों का प्रयोग भी हुआ। दोनों ने एक- दूसरे को देख लेने की धमकी तक दे डाली। इस बीच माहौल गर्म होता देख विधायक शुक्ला ने भी हस्तक्षेप किया। हंगामे के बीच मेयर रामपाल ने जिंदाबाद और मुर्दाबाद के नारे लगाने वाले पार्षदों को सदन से बाहर करने की चेतावनी दे दी। बाद में मामला शांत हुआ। जिसके बाद अन्य प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई और कई प्रस्ताव पास किए गए।
नगर निगम के सभागर में आयोजित बैठक में गत वर्ष हुए आय-व्यय एवं 2021- 22 का बजट, मोहल्ला समिति के गठन, कूड़ा विधायन सयंत्र, सीबीजी प्लांट, नगर निगम में स्थायी कार्मिक, गोल्डन कार्ड, अटल पेंशनर्स योजना, आवारा गोवंशीय को पकड़ने के प्रस्ताव शामिल रहे। इसमें मेयर रामपाल सिंह द्वारा नगर निगम द्वारा दुकानों के किराया बढ़ने पर रोक लगाने की बात कही गयी। साथ ही अवैध नजूल की जमीन पर भूमाफियाओं द्वारा कब्जा हटाते हुए जमीन की घेरेबंदी प्रस्ताव भी आया। गोवंशीय पशुओं पर स्पष्टीकरण देते हुए नगर आयुक्त रिंकू सिंह बिष्ट ने जिला पशु चिकित्साधिकारी की गैर मौजूदगी को बड़ा कारण बताया। इसके अतिरिक्त फर्जीवाड़े से बने राशन कार्ड को चिन्हित कर निरस्त करने की बात भी बैठक में रखी गयी |