Friday, December 19, 2025

दिल्ली के प्रदूषण प्रतिबंधों का उत्तराखंड पर असर, ट्रांसपोर्ट सेक्टर संकट में

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भोंपूराम खबरी,देहरादून । दिल्ली में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए लागू किए गए सख्त प्रतिबंधों का प्रभाव अब उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और परिवहन व्यवस्था पर भी साफ नजर आने लगा है। राजधानी दिल्ली में बीएस-4 और उससे नीचे मानक वाले पुराने डीजल ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगने से उत्तराखंड के लगभग पांच हजार ट्रकों का संचालन ठप हो गया है। इसका सीधा असर दवाइयों, औद्योगिक कच्चे माल और आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति पर पड़ रहा है, जिससे बाजार में असंतुलन की स्थिति बनती जा रही है।

देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, काशीपुर और सिडकुल औद्योगिक क्षेत्रों से दिल्ली-एनसीआर के लिए नियमित रूप से चलने वाले करीब 5000 ट्रक पुराने मानक के बताए जा रहे हैं। प्रतिबंध लागू होते ही बड़ी संख्या में ट्रकों को गाजीपुर, गाजियाबाद सहित अन्य बॉर्डर प्वाइंट्स पर रोक दिया गया। कई वाहन लोडेड अवस्था में खड़े हैं, जिससे माल खराब होने और समय पर डिलीवरी न हो पाने की आशंका बढ़ गई है।

 

दवाइयों और उद्योगों पर सीधा प्रभाव

उत्तराखंड से दिल्ली और आसपास के इलाकों में दवाइयों, पैकेजिंग सामग्री, ऑटो पार्ट्स और अन्य औद्योगिक कच्चे माल की नियमित आपूर्ति होती है। ट्रकों की आवाजाही रुकने से फार्मा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर सीधा असर पड़ा है। कारोबारियों का कहना है कि यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो उत्पादन लागत में बढ़ोतरी होगी और अंततः इसका बोझ आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।

 

ट्रांसपोर्टरों को रोजाना करोड़ों का नुकसान

ट्रांसपोर्ट यूनियन के पदाधिकारियों के अनुसार, इस रोक के चलते ट्रांसपोर्ट सेक्टर को प्रतिदिन करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ट्रांसपोर्ट यूनियन के एपी उनियाल ने बताया कि छोटे और मध्यम ट्रांसपोर्टरों के लिए बीएस-6 मानक के नए ट्रक खरीदना बेहद मुश्किल है। ट्रकों की कीमतें काफी बढ़ चुकी हैं, जबकि पुराने वाहन अभी भी लोन में फंसे हुए हैं। ट्रांसपोर्टरों ने सरकार से अस्थायी छूट या चरणबद्ध व्यवस्था लागू करने की मांग की है।

 

बसों को राहत, यात्रियों ने ली राहत की सांस

इसी बीच, उत्तराखंड परिवहन निगम की बीएस-4 डीजल बसों के संचालन पर भी रोक लगने की आशंका थी, जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी हो सकती थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 10 साल से कम पुरानी डीजल बसों को संचालन की अनुमति मिल गई है। इससे दिल्ली और उत्तराखंड के बीच यात्रा करने वाले यात्रियों को बड़ी राहत मिली है, लेकिन माल ढुलाई से जुड़ा संकट अभी भी बरकरार है।

 

बीएस-6 वाहनों तक सीमित विकल्प

वर्तमान में दिल्ली में केवल बीएस-6 और नए मानक के वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति है। इससे उत्तराखंड के ट्रांसपोर्ट सेक्टर के सामने विकल्प सीमित हो गए हैं। कई ट्रांसपोर्टर वैकल्पिक मार्गों का सहारा ले रहे हैं, लेकिन इससे दूरी और परिवहन लागत दोनों बढ़ रही हैं।

 

सरकार से समाधान की मांग

ट्रांसपोर्टरों और उद्योग जगत ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों को संतुलित रखने के लिए व्यावहारिक समाधान निकाला जाए। उद्योगपति अनिल मारवाह का कहना है कि वैकल्पिक ईंधन, चरणबद्ध प्रतिबंध और वित्तीय सहायता जैसे उपायों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए, ताकि पर्यावरण सुरक्षा और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बना रहे।

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