
भोंपूराम खबरी। गदरपुर विधानसभा क्षेत्र में शिलान्यास कार्यक्रम को लेकर एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। हाल ही में हुए एक निर्माण कार्य के शिलान्यास ने राजनीतिक और प्रशासनिक मर्यादाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि निर्माण कार्य के शिलापट पर क्षेत्रीय विधायक अरविंद पाण्डे का नाम छोटे अक्षरों में अंकित किया गया, जबकि पड़ोसी विधानसभा क्षेत्र के रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा का नाम बड़े और प्रमुख अक्षरों में दर्शाया गया। इस घटनाक्रम को लेकर क्षेत्र में चर्चाओं का दौर चल पड़ा है।

स्थानीय स्तर पर यह भी कहा जा रहा है कि क्षेत्रीय विधायक अरविंद पाण्डे की उपेक्षा कोई नई बात नहीं है। इससे पूर्व भी कई कार्यक्रमों में फ्लैक्स, बैनर और अन्य सामग्री में उनका नाम और फोटो गायब रहने के आरोप लगते रहे हैं। यहां तक कि कई सरकारी कार्यक्रमों में भी उनके नाम को नजरअंदाज किए जाने की बातें सामने आती रही हैं, जिससे उनके समर्थकों में पहले से ही नाराजगी बनी हुई है। ताजा मामला तब और गंभीर हो गया जब पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं गदरपुर विधायक अरविंद पाण्डे की अनुपस्थिति में रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा द्वारा गदरपुर विधानसभा क्षेत्र में आवासीय भवनों का शिलान्यास किया गया। आरोप है कि शिलान्यास के दौरान लगाए गए शिलापट पर शिव अरोड़ा का नाम बड़े अक्षरों में अंकित किया गया, जबकि गदरपुर के विधायक अरविंद पाण्डे का नाम नीचे छोटे अक्षरों में केवल विशिष्ट अतिथि के रूप में दर्शाया गया। इसे लेकर क्षेत्रीय विधायक के समर्थकों में भारी असंतोष देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र में जाकर वहां के विधायक की अनुपस्थिति में सरकारी निर्माण कार्यों का शिलान्यास करना और शिलापट पर स्वयं का नाम प्रमुख रूप से अंकित कराना न तो राजनीतिक शिष्टाचार के अनुरूप है और न ही प्रशासनिक मर्यादाओं के खासतौर पर तब, जब गदरपुर और रुद्रपुर अलग-अलग जिले और अलग विधानसभाएं हैं। ऐसे में प्रोटोकॉल का पालन किया जाना अनिवार्य माना जाता है। इस पूरे प्रकरण में संबंधित अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। लोगों का कहना है कि यदि शिलापट और कार्यक्रम के आयोजन में नियमों की अनदेखी की गई है, तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, यह भी चर्चा है कि गदरपुर में आपसी खींचतान के चलते भाजपा के भीतर ही भाजपा को नुकसान पहुंचाने की स्थिति बनती जा रही है, जिसका असर आने वाले समय में चुनावी समीकरणों पर पड़ सकता है। फिलहाल शिलान्यास से जुड़ा यह विवाद गदरपुर की राजनीति का अहम मुद्दा बन गया है। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि भाजपा संगठन, पार्टी हाईकमान और प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं और क्या इस विवाद पर कोई ठोस कार्रवाई सामने आती है या नहीं।


