

भोंपूराम खबरी। दिवाली के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की हवा बेहद खराब हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, मौसमी बदलाव, पराली जलाने की घटनाएं और आतिशबाजी ने वायु गुणवत्ता को गंभीर स्तर पर पहुंचा दिया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने हालात को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण-2 को तुरंत लागू कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बाद हरित आतिशबाजी की सीमित बिक्री और उपयोग की अनुमति दी गई थी, लेकिन फिर भी प्रदूषण स्तर में बड़ा उछाल देखा गया है।
डॉक्टरों की चेतावनी: बच्चों और बुजुर्गों को सबसे बड़ा खतरा
अपोलो अस्पताल के श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. निखिल मोदी ने बताया कि ठंडी हवाओं और कम वायु गति के कारण प्रदूषक तत्व नीचे की सतह पर फंस जाते हैं। उन्होंने कहा, “दिवाली के बाद AQI और बढ़ गया है, जिससे एलर्जी, खांसी और सांस की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। बच्चों और बुजुर्गों को बाहर निकलने से बचना चाहिए और मास्क का प्रयोग करना चाहिए।”
गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर प्रदूषण का गंभीर असर
सर गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता ने कहा कि बच्चों के नाज़ुक अंग प्रदूषण के असर से जल्दी प्रभावित होते हैं। उन्होंने चेताया, “प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों में स्थायी परिवर्तन हो सकते हैं। गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भस्थ शिशुओं पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है।”
दिवाली पर आग की घटनाओं में थोड़ी कमी
दिल्ली अग्निशमन सेवा के अनुसार, इस बार दिवाली पर कुल 269 आपातकालीन कॉलें मिलीं, जो पिछले साल की 318 कॉलों से कम हैं। जनकपुरी और रूपनगर में कुछ घटनाएं हुईं, लेकिन किसी की गंभीर चोट की खबर नहीं है।


