भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। प्रथम बार नगर पहुंची कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने केंद्र की मोदी सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि युवा और नौकरीपेशा लोग अभूतपूर्व रोजगार संकट से गुजर रहे हैं। दो रोज पूर्व नगर में हुई किसान महापंचायत के दौरान मोदी मैदान का नाम बदलकर किसान मैदान रखे जाने का उन्होंने स्वागत किया। कहा कि अन्नदाता इस देश की आत्मा है और उनके नाम पर किसी जगह के नामकरण से ज्यादा संतोषजनक कुछ नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि अब “मन की बात” करने का नहीं बल्कि “देश की बात” सुनने का समय आ पहुंचा है।
रामपुर राजमार्ग स्थित एक होटल में वार्ता करते हुए श्रीनेत ने कहा कि मोदी सरकार देश के लिए विनाशकारी साबित हुई है। कृषि कानूनों को दुर्भावनापूर्ण इरादे के साथ लाया गया था। किसान आन्दोलन के दौरान 250 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवा दी लेकिन पीएम मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देना भी जरुरी नहीं समझा। पीएम और पूरा मंत्रिमंडल पांच राज्यों के चुनाव प्रचार में व्यस्त है। लेकिन राष्ट्रीय राजधानी से केवल 20 किलोमीटर दूर किसानों की शिकायतों का समाधान करने का समय उनके पास नहीं है।
बढ़ती बेरोज़गारी के मुद्दे पर केंद्र को घेरते हुए उन्होंने कहा कि कई राज्यों में बेरोज़गारी 40% के आंकड़े तक पहुँच चुकी है और देश भर में लगभग 13 करोड़ लोग नौकरी से हाथ धो चुके हैं। देश में बेरोजगारी खतरनाक दर से बढ़ रही है। 2014 में सत्ता में आने के बाद से देश को सभी सामाजिक-आर्थिक सूचकांकों पर लगातार नीचे गिराते हुए और विशेष रूप से कोविड महामारी शुरू होने के बाद से इस सरकार द्वारा लिए गए विचारहीन फ़ैसलों ने देश को रसातल में धकेलने का काम किया है।
श्रीनेत ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा अपने घोषणा पत्र में हर साल दो करोड़ नौकरियाँ देने का वादा करने के बावजूद नौकरी के अवसर पैदा नहीं हुए। मोदी सरकार ने भारत की आर्थिक संरचना को नष्ट करने वाली नीतियों को लागू किया है। अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन और लॉकडाउन के कारण बेरोज़गारी अभी और विकराल रूप धारण करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र ने युवाओं, किसानों, सैनिकों और इस देश के हर आम आदमी को धोखा दिया है। मोदी सरकार चंद पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए काम कर रही है। पूरे देश ने बीते एक साल में मजदूरों को पैदल चलते, किसानों को कृषि क़ानूनों के खिलाफ, बेरोजगार युवाओं को नौकरी की मांग करते हुए देखा गया। पेट्रोल-डीज़ल-एलपीजी की बढ़ती कीमतें, शिक्षा के लिए बजट में कटौती और सीमाओं पर व्यर्थ शहीद होते सैनिक देखे मगर अहंकारी सरकार देश के भले के लिए कुछ भी करने में विफल रही है।