भोंपूराम खबरी,देहरादून । कतार, दोहा में आयोजित वर्ल्ड स्कॉलर्स कप की पदक विजेता वैनटेज हॉल गर्ल्स रेजिडेंशियल स्कूल में अध्ययनरत देश के विभिन्न राज्यों की निवासी छात्राओं ने डिसेबल्ड स्पोर्टिंग सोसाइटी के प्रदेश अध्यक्ष, वरिष्ठ भाजपा नेता एवं समाजसेवी भारत भूषण चुघ तथा छात्राओं को दोहा कतर ले गई कोर्डिनेटर रितु शर्मा के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर उनसे आर्शीवाद लिया। श्री धामी ने सभी छात्राओं को आर्शीवाद देते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों से देश की बेटियां हर क्षेत्र में देश का नाम विश्व में गौरवांवित कर रही हैं। चाहे शिक्षा हो या खेल, विज्ञान हो या उद्योग। देश की बेटियां अनेक देशाें में अपनी अमित छाप छोड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार भी बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। श्री धामी ने सभी छात्राओं को उपहार देकर सम्मानित किया। भारत भूषण चुघ ने कहा कि रेजिडेंशियल स्कूल बड़ा मंच है जो सभी के लिए अवसर खोलता है। जहां मनोरंजन के साथ बहुत कुछ सीखते हैं। उन्होंने बताया कि वैनटेज हॉल गर्ल्स रेजिडेंशियल स्कूल की 10 छात्राओं ने कतर, दोहा में आयोजित वर्ल्ड स्कॉलर कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस प्रतियोगिता में वाद-विवाद, लेखन और प्रश्नोत्तरी शामिल थी। कतर जाने से पहले देश की इन बेटियों ने मसूरी राउंड में भाग लिया और फिर दोहा के लिए क्वालीफाई हो गईं। दोहा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद उन्होंने अंतिम और फाइनल राउंड के लिए क्वालीफाई किया, जो येल यूनिवर्सिटी, यूएसए में होगा । श्री चुघ ने बताया कि प्रत्येक छात्रा ने पदक जीता। श्री चुघ ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बताया कि छात्राओं ने पदक भी जीते हैं उनमें उनकी पुत्री नव्या चुघ ने पांच पदक जीते जबकि हरियाणा की हिरल जसूजा ने 6 पदक, उत्तराखंड की मान्या भाटिया ने 6 पदक, उत्तर प्रदेश की अग्रिमा तोलानी ने 4 पदक, पश्चिम बंगाल की अरात्रिका घोष ने 4 पदक, उत्तराखंड की मार्था ने 2 पदक, लीशा गोयल ने 2 पदक, अंडमान निकोबार की श्रेया सिकदार ने 3 पदक, उत्तराखंड की सांची सिंघल ने 2 पदक, हिमाचल प्रदेश की हरमन बत्रा ने 3 पदक जीते। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता स्थल पर पहुंचने पर, विभिन्न देशों के छात्रों ने जीवंत माहौल में बेटियों का स्वागत किया। सांस्कृतिक विविधता विस्मयकारी थी। विचारों का आदान-प्रदान किया और उनके अद्वितीय दृष्टिकोण के बारे में सीखा। शैक्षणिक पहलू से परे, सांस्कृतिक विसर्जन अनुभव का मुख्य आकर्षण था। बेटियों ने स्थानीय रीति-रिवाजों को अपनाया, पारंपरिक व्यंजन आज़माए और कतर की सुंदरता का पता लगाया। संस्कृतियों के आदान-प्रदान ने आपसी सम्मान को बढ़ावा दिया। जैसे-जैसे प्रतियोगिता चरम पर पहुंची, उत्साह देखते ही बन रहा था। परिणामों के बावजूद, बेटियों को उपलब्धि और व्यक्तिगत विकास की गहरी अनुभूति महसूस हुई। एक अद्भुत अनुभव के बाद बेटियों ने इस स्कूल को गौरवान्वित किया। कोर्डिनेटर रितु शर्मा ने बताया कि देश की बेटियों ने प्रतियोगिता के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृति प्रस्तुत कर 18 देशों से आए करीब तीन हजार विद्यार्थियों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। साथ ही छात्राओं ने स्वदेशी सामान का स्टॉल भी लगाया।