भोंपूराम खबरी,रूद्रपुर। अपने पूर्व प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत आज अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर बंगाली समाज के लोगों ने हुंकार भरी। जिले भर के हर शहर और हर गांव से हजारों की संख्या में महिला, पुरुष, युवा बंगाली समाज के लोग गांधी पार्क पहुंचे और अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखा।
आज बंगाली समाज के राज्य व्यापी बंगाली महासम्मेलन का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके पश्चात छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर आज हर राजनीतिक दल से जुड़े बंगाली समाज के लोग एक मंच पर नजर आए। उन्होंने कहा कि जनपद में चार लाख बंगालियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाए, बंगाली बाहुल्य स्कूलों एवं कॉलेज में बांग्ला विषय का पाठ्यक्रम रखा जाए और हरिचंद गुरु चंद बंद पड़ी छात्रवृत्ति का पुनः वितरण किया जाए। वक्ताओं ने कहा की उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वर्ष 2001 में तत्कालीन सरकार द्वारा बंगालियों को अनुसूचित जाति की मान्यता के लिए एक अध्यादेश पारित कर भारत सरकार के पास भेजा गया था। सरकार बदलने के बाद नई सरकार ने विधानसभा में संकल्प पारित कर भारत सरकार को बंगालियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए भेजा था। भारत सरकार के महारजिस्टार की अवलोकनार्थ यह पाया गया केस में एथनोग्राफिक सर्वे नहीं है। इसे किसी यूनिवर्सिटी से एथनोग्राफिक सर्वे कराकर उत्तराखंड सरकार को संस्तुति के लिए पुनः भेजा जाए।
वर्ष 2005 में जिलाधिकारी उधम सिंह नगर को पत्र देकर यूनिवर्सिटी से एथनोग्राफिक सर्वे कराकर उत्तराखंड सरकार को भेजने का आग्रह किया गया। बाद में पंतनगर यूनिवर्सिटी के माध्यम से सर्वे कराकर भेजा गया ।लेकिन वर्ष 2024 तक इसका समाधान नहीं दिखाई दिया। समाज के नेताओं ने एससी एसटी आयोग के उपाध्यक्ष अरुण हवलदार से संपर्क किया उन्होंने भारत सरकार के महा रजिस्ट्रार के प्रतिनिधि एवं उत्तर उत्तराखंड सरकार के प्रतिनिधि के साथ बैठक की और प्रगति के बारे में जानकारी ली। बाद में उनके निर्देशानुसार उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव द्वारा 12 फरवरी 2024 को एथनोग्राफिक सर्वे के साथ उत्तराखंड सरकार की संस्तुति की एक पत्रावली एससी आयोग एवं महालेखा परीक्षक के पास भेजी गई। पत्रावली प्राप्त होने के बाद पता चला कि बंगाली समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने की संस्तुति कर दी गई है, लेकिन सरकार का कार्यकाल खत्म होने के बाद यह पूरी नहीं हो पाई। शिक्षा मंत्री द्वारा भी कई बार आश्वासन दिया गया कि बंगाली बाहुल्य क्षेत्र में बांग्ला भाषा को पढ़ाया जाए, लेकिन यह नोटिफिकेशन अभी तक लागू नहीं किया गया।
बंगालियों के अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को जो वजीफा दिया जाता है वह 3 साल से बंद पड़ा है। जिससे वह उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे ऐसे में बंगाली समाज की इन तीनों मांगों को पूरा किया जाए।
इस दौरान दर्ज राज्य मंत्री उत्तम दत्ता, राजकुमार शाह, शंकर चक्रवर्ती, समीर राय, अनादी रंजन मंडल, हिमांशु सरकार, रवि सरकार, दिलीप अधिकारी, विवेकानंद विश्वास, प्रेमानंद महाजन, विकास मलिक, ममता हालदार, सीमा विश्वास, पवित्र सील राय, सुभाष सरकार, प्रसनजीत,राधा सरकार, गोविंद राय, गणेश राय, सुशांत राय, प्रभात स्वर्णकार, मनोज राय, शिव राय, सुनील राय, लक्ष्मी राय, जीवन राय, संजय, विश्वजीत विश्वास शुभम मंडल समीर सेन, माइकल राय, गौतम घरामी, विकास विश्वास, के के दास, आशुतोष, विकास सरकार, चंद्रशेखर गांगुली, तरुण दत्ता, अजीत शाह, विश्वजीत विश्वास, राकेश दास, त्रिनाथ विश्वास, रघुनाथ विश्वास समेत हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष मौजूद थे