भोंपूराम खबरी। कई महीनों से पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण उत्तराखंड में यमुना का जलस्तर काफी गिर गया है। हालात ये हैं कि जलस्तर में गिरावट का पिछले पांच साल का रिकॉर्ड टूट गया है। इसका असर पांच जल विद्युत परियोजनाओं पर भी पड़ा है। इससे राज्य में चार मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन कम हो गया है। दरअसल, यमुना में पिछले कुछ सालों के मुकाबले पानी 18.75 फीसदी कम हुआ है। इसका प्रभाव हरियाणा और दिल्ली पर भी पड़ रहा है। यमुना नदी से हरियाणा को सिंचाई जबकि दिल्ली को पीने के लिए पानी मिलता है। उत्तराखंड से पानी हरियाणा के यमुनानगर जिले में बने हथनीकुंड बैराज में पहुंचता है। इस बैराज से पानी पश्चिमी यमुना नहर और पूर्वी यमुना नहर जाता है। जल स्तर में गिरावट का असर दिल्ली, यूपी और हरियाणा में भी पड़ रहा है।
यूपी के कई जिले प्रभावित
उत्तराखंड में यमुना का जल स्तर गिरने से लोग चिंतित हैं। पश्चिमी यमुना नहर हरियाणा के कई जिलों की सिंचाई करती है। पश्चिमी यमुना नहर के रास्ते हथनीकुंड बैराज का यह पानी हरियाणा होते हुए दिल्ली पहुंचता है। पूर्वी यमुना नहर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर और बागपत में सिंचाई करते हुए दिल्ली पहुंचती है। जल स्तर गिरने से यूपी के इन जिलों में भी असर पड़ रहा है। पर्याप्त बारिश नहीं होने पर परेशानियां और बढ़ने की संभावना जताई जा रही हैं।
उत्तराखंड में गिरा बिजली उत्पादन
यमुना का जलस्तर कम होने से छिबरो, खोदरी, ढकरानी, ढालीपुर, कुल्हाल और व्यासी विद्युत प्रोजेक्ट में बिजली उत्पादन गिरा है। यमुना से जल विद्युत परियोजनाओं को मिलने वाला पानी दिसंबर महीने में पिछले सालों में अधिकतम 115.36 क्यूमेक्स रहा। यह आंकड़ा दिसंबर 2024 में गिरकर 93.93 क्यूमेक्स पहुंच गया है। यमुना में 21.43 क्यूमेक्स पानी कम हुआ है।सर्दियों में पहले ही बिजली उत्पादन कम हो जाता है। पीक सीजन में यूजेवीएनएल का कुल बिजली उत्पादन प्रतिदिन 26 मिलियन यूनिट तक पहुंच जाता है। यह सर्दियों में सामान्य तौर पर 13 एमयू तक पहुंच जाता था। इस बार उत्पादन 8.67 एमयू रह गया है। इससे हर दिन करीब 4.3 एमयू बिजली का नुकसान हो रहा है।