16.1 C
London
Thursday, September 19, 2024

भगवान शंकर के इन 5 प्राचीन मंदिरों की कथाएं हैं बेहद दिलचस्प, ज़रूर करें दर्शन

- Advertisement -spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img

भोंपूराम खबरी। भगवान भोले के त्रिशूल पर टिकी काशी नगरी में बाबा विश्वनाथ मंदिर का नवीनीकरण कर दिया गया है जिसके कारण ये मंदिर पहले से भी दिव्य दिखाई देने लगा है। अब भक्त गंगा में स्नान के बाद सीधा बाबा के दर्शन के लिए आ सकते हैं। यहां तक की स्नान करते ही बाबा के मंदिर के दर्शन सामने से ही होते हैं।

देवभुमि हिमाचल में स्थित है कालीनाथ महाकालेश्वर महादेव मंदिर। ये मंदिर यहां बहर रही व्यास नदी के पवित्र तट पर बना हुए है। ये मंदिर धार्मिक आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है। इस मंदिर में भगवान शंकर की पिंडी भूगर्भ में स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि मां काली ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए इसी स्थान पर तप किया था। कहा जाता है कि भगवान शिव ने मां काली को कहा कि इस धरती पर जहां राक्षसों का रक्त नहीं गिरा होगा वहीं मैं आपको प्राप्त होउंगा। मां काली युद्ध के बाद पृथ्वी पर जगह जगह तपस्या करने लगीं। माना जाता है हिमाचल का देहरा ही वो जगह है जहां माता की तपस्या पूर्ण हुई थी।

कुरुक्षेत्र का मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर कुरुक्षेत्र से करीब 25 किलोटमीटर दूर शाहबाद मारकण्डा नामक कस्बे में स्थित है। मंदिर मारकण्डा नदी के पावन तट पर बना है। मान्यता है कि यह स्थान पर महर्षि मार्कण्डेय की तपोभूमि रहा है इसी कारण इस स्थान का नाम शाहबाद मारकण्डा पड़ा। कथा के अनुसार महर्षि मार्कण्डेय को 16 वर्ष की आयु प्राप्त थी। परंतु जब 16 वर्ष पूरे होने पर यमराज उन्हे लेने आये तो उन्होंने यमराज से शिव पूजन पूरा होने तक इंतजार करने का आग्रह किया। लेकिन यमराज के नहीं मानने पर वो शिवलिंग से लिपट गये। जिससे मृत्युपाश उन्हें ना लगकर शिवलिंग पर जा लगा। तब भगवान शिव ने वहां प्रकट हो कर उन्हें अमरता का वरदान दिया। हर रविवार को यहां मेले जैसा माहौल रहता है।

श्रीनगर के हब्बा कदर इलाके में भगवान शिव को समर्पित शीतल नाथ मंदिर है। शीतलनाथ मंदिर 31 साल की लंबी अवधि के बाद पिछली बंसत पंचमी के अवसर पर खोला गया है। इस दौरान यहां विशेष पूजा अर्चना भी की गयी। 31 साल पहले ये मंदिर घाट की परिस्थितियों की वजह से बंद करना पड़ा था। लेकिन स्थानीय लोगों की कोशिश एक बार फिर रंग लायी और मंदिर को खोल दिया गया। बताया जाता है कि मंदिर में लगातार भक्तों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

उज्जैन में बाबा महाकाल को पहले भस्म से स्नान कराया जाता है उसके बाद पंच स्नान कर बाबा का विशेष श्रृंगार किया जाता है और फिर दिव्य आरती की जाती है। बाबा के भक्त दूर दूर से इस आरती में सम्मिलित होने पहुंचते हैं।

 

Latest news
Related news
- Advertisement -spot_img

Leave A Reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »