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Saturday, December 21, 2024

नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्माण्डा की पूजा, जानिए दुर्गा के चौथे स्वरूप के बारे में, किन चीजों का लगाएं भोग?

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भोंपूराम खबरी। नवरात्रि का चौथा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप, मां कूष्मांडा की पूजा और आराधना की जाती है. नवरात्रि के इस विशेष अवसर पर मां कूष्मांडा की साधना करने से भक्तों को कठिन से कठिन रोगों से मुक्ति और उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. देवी कूष्मांडा रिद्धि और सिद्धि प्रदान करने वाली मां मानी जाती हैं.

मां कूष्मांडा की आरती (Maa Kushmanda Aarti)

कूष्मांडा जय जग सुखदानी.

मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली.

शाकंबरी मां भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे .

भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा.

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे.

सुख पहुँचती हो मां अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा.

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी.

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा.

दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो.

मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए.

भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

कैसा है मां कुष्मांडा का स्वरूप

मां कुष्माण्डा का वाहन सिंह है और आदिशक्ति की 8 भुजाएं हैं. इनमें से 7 हाथों में कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, कमण्डल और कुछ शस्त्र जैसे धनुष, बाण, चक्र तथा गदा हैं. जबकि, आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है. ऐसा उल्लेख मिलता है कि, माता को कुम्हड़े की बलि बेहद प्रिय है. वहीं कुम्हड़े को संस्कृत में कूष्माण्ड कहते हैं.

क्या भोग लगाएं?

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा को आटे और घी से बने मालपुआ का भोग लगाना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से भक्त को बल-बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है.

पूजा से मिलते हैं ये लाभ

माता कुष्मांडा की पूजा से व्यक्ति को सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है, ऐसा माना जाता है, साथ ही उसे उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु प्राप्त होती है. मान्यता है कि, जो भी व्यक्ति मां कुष्माण्डा की आराधना करता है उसे सुख-समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति होती है.

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