भोंपूराम खबरी। उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जनपद में किच्छा तहसील मुख्यालय से दो दर्जन से अधिक गांवों को जोड़ने के लिए रपटा पुल बनाने के लिए पौने चार करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी. यह पुल 2016 में बनकर तैयार होना था. कार्यदायी संस्था द्वारा पुल को आधा अधूरा बनाकर छोड़ दिया गया और 2017 की बरसात में पुल का आधा अधूरा काम पानी में बह गया. इसके बाद तत्कालीन विधायक राजेश शुक्ला ने तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के सामने निर्माण कार्य की जांच की मांग की।
तत्कालीन सीएम के निर्देश पर जांच टीम का गठन हुआ और कार्यदायी संस्था को दोषी पाकर ब्लैक लिस्ट कर दिया गया. इसी दौरान राजेश शुक्ला की मांग पर तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा बड़ा पुल बनाने की घोषणा की गई थी. पूर्व सीएम की घोषणा के कई वर्ष बाद भी पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. लम्बे समय से क्षेत्रवासियों द्वारा पुल के निर्माण की मांग की जा रही है।
किच्छा तहसील मुख्यालय को गौला नदी के दूसरे छोर पर बसे किच्छा सितारगंज विधानसभा के दो दर्जन से अधिक गांवों को जोड़ने वाला रपटा पुल 2017 में आई बरसात में बह गया था. तब किच्छा पहुंचे तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के सामने तत्कालीन विधायक राजेश शुक्ला द्वारा रपटा पुल की जगह पर बड़ा पुल बनाने की मांग की गई थी, तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़ा पुल बनाने की घोषणा कर दी. लेकिन घोषणा के कई वर्ष बाद भी अभी तक बड़ा पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है. पुल ना बनने से स्थानीय लोगों को अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है।
इन गांव के लोगों की परेशानी बढ़ी
लोगों ने बताया कि पुल ना होने से सूर्यनगर, शांतिपुरी नम्बर पांच, बखपुर, धौराडाम, तेलियापुर, गऊघाट, शहदौरा सहित दो दर्जन से अधिक गांवों के लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि पुल के ना होने से नदी को पार करके जाना पड़ता है,अगर नदी में पानी ज्यादा होता है, तो 12 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ता है. कई बार पानी ज्यादा बढ़ने पर नदी पार करते समय कई लोग जान भी गंवा चुके हैं. एसडीएम कौस्तुभ मिश्र ने बताया कि यह मामला पीडब्ल्यूडी के पास है. इसमें कार्रवाई चल रही है. जल्द ही किसी नतीजे तक पहुंचकर पुल निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।