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Thursday, December 26, 2024

रेंजर सहित 4 वनकर्मियों को गोली मारने वाले कुख्यात बदमाश संगत सिंह को एनकाउंटर में पुलिस ने मारी गोली

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भोंपूराम खबरी। बीते 6 सितंबर को ऊधमसिंहनगर जिले के तराई केंद्रीय वन प्रभाग में स्थित पीपलपड़ाव वनरेंज में कुख्यात वन तस्कर सगत सिंह उर्फ संगी के नेतृत्व में सागौन के पेड़ काट रहे वन तस्करों ने वन कर्मियों से आमना-सामना होने के बाद वन विभाग के रेंजर रूप नारायण गौतम समेत चार वन कर्मियों को गोली मारकर घायल कर दिया था और वारदात को अंजाम देने के बाद वन तस्कर मौके से फरार हो गए थे पर आखिरकार 2 महीने बाद ही सही पर इस वारदात को अंजाम देने वाले मुख्य आरोपी कुख्यात अपराधी संगत सिंह उर्फ संगी को आज पुलिस ने गदरपुर में हुए एक एनकाउंटर में गोली मारने के बाद गिरफ्तार कर लिया है।

हम आपको बता दें कि कुख्यात अपराधी सगत सिंह पर यूपी और उत्तराखंड के कई थानों में 54 मुकदमे दर्ज हैं…आज मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर जब रुद्रपुर SOG और पुलिस की एक संयुक्त टीम गदरपुर में संगत सिंह को गिरफ्तार करने पहुंची तो आदतन अपराधी सगत सिंह ने पुलिस टीम को देखते ही पुलिस कर्मियों पर निशाना साधते हुए फायरिंग शुरू कर दी,फिर क्या था पुलिस ने संगत को बुरी संगत से दूर करते हुए संगत पैर में 9mm के पीतल की गोली डाल दी और देखिए किस तरह से पुलिस की गोली खाने के बाद 54 मुकदमों में नामजद ये शातिर अपराधी शांत मुद्रा में स्ट्रेचर पर गिड़गिड़ाते हुए हाथ जोड़कर अपनी जान बख्शने की SSP मणिकांत मिश्रा से भीख मांग रहा है…अब जरा इस बदमाश की कद काठी को देखिए पुलिस की दहशत से ये लंबा चौड़ा बदमाश कैसे कप्तान के सामने भीगी बिल्ली बनकर अपनी जान की भीख मांग रहा है।

दरअसल जिले में तैनाती के बाद से अब तक SSP मणिकांत शांत नहीं हुए हैं और अब तक जिले में खुलेआम बड़ी-बड़ी वारदातों को अंजाम देने वाले चार बदमाशों को मणिकांत के निर्देशन में पुलिस 9mm के पीतल का स्वाद चखाकर शांत कर चुकी है… कुल मिलाकर कहें तो बीते ढाई साल में जनपद ऊधमसिंहनगर अपराधियों की पाठशाला बन गया था और अब कम से कम जिले में नए कमांडर के आने के बाद जिले में बवंडर मचाने वाले बदमाशों को पुलिसिया 9 एमएम के पीतल से जो इलाज मिल रहा है,वो निश्चित तौर पर जिले के कुख्यात बदमाशों के स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभकारी है…बहरहाल SSP मणिकांत मिश्रा की इस दिलेरी को हम भी सराहना करते हैं और उम्मीद करते हैं कि अगली बार जब हमें किसी पुलिसिया मुठभेड़ की सूचना मिलेगी तो पुलिस का निशान कम से कम बदमाशों की टांग और गर्दन के बीच तो पक्का ही लगेगा।

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