भोंपूराम खबरी। आपको बता दें की उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल ने मंगलवार (10 अक्टूबर) को राज्य में प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के अंतर्गत कार्यरत डॉक्टरों की सेवानिवृत्त आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने के प्रस्ताव को कुछ शर्तों एवं प्रतिबंधों के साथ मंजूरी दे दी है. राज्य सरकार की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि मंगलवार को लखनऊ में लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया।
बयान के अनुसार ”मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के अंतर्गत कार्यरत चिकित्सकों की रिटायर होने की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने के प्रस्ताव को कतिपय शर्तों एवं प्रतिबंधों के साथ अनुमोदित कर दिया है.” इन प्राविधानों में भविष्य में आवश्यकतानुसार मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त करके परिवर्तन किया जा सकेगा।
डॉक्टर की सेवानिवृत्त उम्र को लेकर बड़ा फैसला
मंगलवार को लिए गए इस फैसले के अनुसार प्रादेशिक चिकित्सा सेवा संवर्ग के लेवल-एक, लेवल-दो, लेवल-तीन तथा लेवल-चार तक के चिकित्साधिकारियों की सेवानिवृत्त आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गयी है. जबकि महानिदेशक (लेवल-सात), निदेशक (लेवल-छह), अपर निदेशक/प्रमुख अधीक्षक/अधीक्षिका/मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी (लेवल-पांच) के चिकित्साधिकारी 62 वर्ष की आयु में ही सेवानिवृत्त आयु पूर्ण कर अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त होंगे।
65 वर्ष की आयु तक कर सकेंगे काम
उन्होंने बताया कि संयुक्त निदेशक ग्रेड (लेवल-चार) के चिकित्साधिकारी यथा संयुक्त निदेशक, मुख्य चिकित्साधिकारी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, प्रधानाचार्य (ट्रेनिंग सेन्टर), जिला क्षय रोग अधिकारी, जिला कुष्ठ रोग अधिकारी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी आदि प्रशासनिक पद पर सेवारत अधिकारी 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने के उपरान्त उक्त प्रशासनिक पदों के सापेक्ष कार्य नहीं करेंगे, अपितु चिकित्सालयों में चिकित्सक के पद के सापेक्ष 65 वर्ष की आयु तक कार्य कर सकेंगे।
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए कर सकते हैं आवेदन
यह भी तय किया गया कि 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने के उपरान्त लेवल-एक से लेवल-चार तक का कोई भी चिकित्सक यदि अग्रेतर 65 वर्ष की आयु तक चिकित्सीय पद के सापेक्ष कार्य करने का इच्छुक नहीं है, तो वह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कर सकता है. यह दावा किया गया कि प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग में चिकित्सकों की उपलब्धता होने से आम जनमानस को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं सुलभ होंगी।