
भोंपराम खबरी,रूद्रपुर। नगर की प्रमुख बस अड्डे वाली रामलीला में आज राम का वनवासी वस्त्रो में माता पिता से आज्ञा लेना, प्रजा का राम के पीछे-पीछे जाना, प्रजा के रात्रि में सोते समय राम का चले जाना, सुमंत की वापसी, राम की भील राजा गुह से भेंट, राम केवट संवाद, दशरथ मरण तक की लीला का भावपूर्ण व सुंदर मंचन हुआ। आज दीप प्रज्जवलन लालजी गोपीनाथ इंडस्ट्री, बाली आटो, श्यामा श्याम गार्डन, श्यामा श्याम टाउनशिप के स्वामी श्री ललित खेड़ा नें किया। श्रीरामलीला कमेटी नें सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर, शाल ओढ़ाकर एवं श्री गणेश जी की प्रतिमा देकर सम्मानित किया। आज प्रथम दृष्य में राम अपने राजसी वस्त्रों को त्याग कर वनवासी वस्त्रों में राजा दशरथ के पास आते है। राजा दशरथ उन्हें रोकते हैं, लेकिन अपने वचनों पर अटल राम वनों को चले जाते है। राम को वनों में जाते देख समस्त प्रजा भी उनके पीछे हो लेती है। राजा दशरथ के मंत्री सुमंत्र बिना राम लखन के अयोध्या चल पड़ते है और राम वनो की तरफ बढ़ चलें हैं। राम जंगल में प्रवेश करते है, तो उनकी भेंट भील राजा गुह से होती है।

इसके बाद गंगा पार करते समय उनकी मुलाकात केवट मल्लाह से होती है। केवट रामजी के चरण धोनें के बाद उन्हें अपनी नाव में बैठाकर गंगा पार करवाता है। गंगा पार करनें के बाद राम केवट को एक अंगूठी देते है, तो केवट बहुत प्रेमपूर्वक स्वीकार करने से मना कर देते हैं। इधर मंत्री सुमंत्र के अयोध्या में पहुंचते ही राजा दशरथ ने सुमंत्र को हृदय से लगा लिया। मानो डूबते हुए आदमी को कुछ सहारा मिल गया हो। मंत्री को स्नेह के साथ पास बैठाकर नेत्रों में जल भरकर राजा पूछने लगे, हे मेरे प्रेमी सखा सुमंत्र ! श्री राम की कुशल कहो । बताओ, श्री राम, लक्ष्मण और जानकी कहाँ हैं? उन्हें लौटा लाए हो कि वे वन को चले गए? यह सुनते ही मंत्री सुमंत्र के नेत्रों में जल भर आया । शोक से व्याकुल होकर राजा फिर पूछने लगे- सीता, राम और लक्ष्मण का संदेसा तो कहो । श्री रामचन्द्रजी के रूप, गुण, शील और स्वभाव को याद कर- करके राजा अपनी पत्नी कौशल्या से भारी हृदय से कहते हैं मैंने उन्हें राजा होने की बात सुनाकर वनवास दे दिया, यह सुनकर भी जिस (राम) के मन में हर्ष और विषाद नहीं हुआ, ऐसे पुत्र के बिछुड़ने पर भी मेरे प्राण नहीं गए, तब मेरे समान बड़ा पापी कौन होगा ? आखरी समय में राजा दशरथ श्रवण कुमार के मां-बाप की श्राप के अनुसार अपने आंखों की रोशनी खोकर अंधे हो जाते हैं और चार-चार पुत्रों के होने के बावजूद अंतिम समय में पुत्र वियोग में तड़प तड़प कर दम तोड़ देते हैं।
आज की लीला में राजा दशरथ- प्रेम खुराना, राम- मनोज अरोरा, लक्ष्मण- गौरव जग्गा, सीताजी- दीपक अग्रवाल, गणेश भगवान- आशीष ग्रोवर आशु, केवट मल्लाह- अनिल तनेजा, सुमन्त- सचिन आनन्द, राजा गुह- रोहित नागपाल, कौषल्या- नरेश छाबड़ा, सुमित्रा का किरदार हर्ष अरोरा नें निभाया।