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Saturday, July 27, 2024

टाइटेनियम के बादलों का है इस अजूबे ग्रह का आसमान

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भोंपूराम खबरी।

ब्रह्माण्ड अजूबा है, हमारी कल्पनाओं से परे हैं। अथाह सागर में फैले इस संसार में कब क्या कुछ मिल जाय, कोई नही जानता। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ है, धातुओं के बादलों से घिरे एक अजूबे ग्रह का पता चला है। इस ग्रह के आसमान में टाइटेनियम समेत सोने, चांदी, एल्युमिनियम व लोहे के बादल तैर रहे हैं। यह सुनने में अविश्वनीय लगता है, मगर वैज्ञानिकों का दावा है कि यह हकीकत है और सच में धातुओं के चमकदार बादल इस ग्रह को अजूबा बनाते हैं। हालही में धातुओं के उड़ते बादलों वाले इस ग्रह की खोज की गई है।

इस खोज ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है। वैज्ञानिक इस ग्रह को ब्रह्माण्ड का सबसे बढ़ा चमकता आयना बता रहे हैं।

यह एक ऐसा ग्रह है, जिसके अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती । यह हमसे बहुत दूर एक बाहरी ग्रह यानी एक्सोप्लैनेट है। इसका नाम एलटीटी 9779 बी है। यह परावर्तक ग्रह है, जो अति-गर्म है। यह धातु के प्रतिबिंबित करने वाले बादलों से ढका हुआ है। पृथ्वी से इसकी दूरी लगभग 264 प्रकाश वर्ष है। अपने मूल तारे से इस पर चमकने वाले लगभग 80 प्रतिशत प्रकाश को प्रतिबिंबित यानी लौटा देता है। यदि पृथ्वी पर प्रावर्तित होने वाले प्रकाश से तुलना करें तो पृथ्वी पड़ने वाला सूर्य का केवल 30 फीसद प्रकाश परावर्तित होता है। यह एक्सोप्लैनेट पृथ्वी से लगभग पांच गुना बढ़ा है। डिएगो पोर्टल्स यूनिवर्सिटी के खगोल वैज्ञानिकों ने यह खोज की है। खोजकर्ता वैज्ञानिक जेम्स जेनकिंस का कहना है कि यह ग्रह अपने तारे के करीब एक जलती हुई दुनिया के समान है। जिसमें धातुओं के भारी बादल तैर रहे हैं और टाइटेनियम की बूंदें इस ग्रह के आसमान से बरस रही हों। हमारा शुक्र ग्रह भी बेहद चमकदार है। जिसमें हाइड्रोजन के बादल तैरते हैं और एसिड की बारिश शुक्र पर होती है। एलटीटी9779 बी ग्रह के सतह का तापमान लगभग 2,000 डिग्री सेल्सियस है, जो अपने तारे के सामने तेज रोशनी फेकता है। अब वैज्ञानिक इस ग्रह पर बादल बनकर उड़ने वाले धातुओं का अध्ययन करेंगे और पता लगाएंगे कि इन बादलों में कौन कौनसे धातु मौजूद हैं।

ब्रह्माण्ड अभी भी हमारी कल्पना से परे

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक बृजेश कुमार कहते हैं कि समूचे ब्रह्माण्ड की कल्पना नही की जा सकती। न जाने कहां क्या मौजूद है और क्या प्रभाव छोड़ रही है। जैसे जैसे आत्धुनिक तकनीक विकसित हो रही है, हमारी समझ भी बढ़ती जा रही है।

श्रोत व फोटो : स्पेस डॉट इन।

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