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Saturday, July 27, 2024

चैत्र नवरात्रि नौवां दिन, आज मां सिद्धदात्री की पूजा विधि

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भोंपूराम खबरी।

आज चैत्र नवरात्रि का नौवां दिन है और आज मां दुर्गा की 9वीं शक्ति मां सिद्धदात्री की पूजा की जाएगी। जैसा कि माता के नाम से स्पष्ट हो रहा है कि यह मां सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। मां दुर्गा के मोक्ष और सिद्धि देने वाले स्वरूप को मां सिद्धिदात्री कहा जाता है। मान्यता है कि माता की पूजा करने से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती। मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा ऋषि-मुनि, यक्ष, देव, दानव, साधक, किन्नर और गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले भक्त मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करते हैं।

मां सिद्धदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह आठ सिद्धियां हैं। ये सभी सिद्धियां मां सिद्धदात्री की पूजा और कृपा से प्राप्त की जाती हैं। हनुमान चालीसा में इन्हीं आठ सिद्धिय़ों का उल्लेख मिलता है ‘अष्टसिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन्ह जानकी माता’। भगवान महादेव ने इन्हीं देवी की तपस्या कर आठों सिद्धियां प्राप्त की थीं। मां सिद्धदात्री की कृपा से ही महादेव का आधा शरीर देवी का हो गया था और वे अर्द्धनारीश्वर कहलाए। नवरात्रि के नौंवे दिन इनकी पूजा करने के बाद नवरात्र का समापन माना जाता है। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है।

ऐसा है मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

सिद्धि और मोक्ष देने वाली दुर्गा को सिद्धिदात्री कहा जाता है। यह देवी भगवान विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान हैं और चार भुजाओं से युक्त हैं। मां सिद्धिदात्री हाथों में कमल, शंख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं। नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए नवाहन का प्रसाद और नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के फल-फूल आदि अर्पण करना चाहिए। सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं।

चैत्र नवरात्रि नवमी तिथि कन्या पूजननवरात्रि की नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विधान है। कन्या पूजन में कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए अन्यथा दो कन्याओं के साथ भी पूजा कर सकते हैं। कन्याओं के साथ एक लांगूरा (बटुक भैरव) भी होना चाहिए। कन्याओं को घर पर बुलाकर उनके पैरों को जल या दूध से धुलकर कुमकुम व सिंदूर का टिका लगाएं और फिर भोजन के लिए कन्याओं को हलवा-चना, पूड़ी-सब्जी, फल आदि चीजें दें। इसके बाद लाल चुनरी ओढाएं और सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा दें। इसके बाद पूरे परिवार के साथ सभी कन्याओं के चरण स्पर्श करें और माता के जयाकरे लगाते हुए कन्या और लागूंरा को विदा करें।

चैत्र नवरात्र के 9वें दिन पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 5:25 से 6:54 तक रहेगा। इसके बाद दूसरा मुहूर्त सुबह 8:37 से दोपहर 12:30 बजे तक और तीसरा शुभ मुहूर्त शाम को 3:06 से 5:22 तक रहेगा। वहीं रामनवमी की तिथि बुधवार रात 9:07 से शुरू होकर 30 मार्च को रात 11:30 तक रहेगी। उदया तिथि के हिसाब से रामनवमी का पर्व 30 मार्च को मनाया जाएगा।

मां सिद्धिदात्री पूजा विधिमां

सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना अन्य दिनों की तरह करें लेकिन इस दिन परिवार के साथ हवन का भी विशेष महत्व है। आज माता की पूजा करने से बाद सभी देवी-देवताओं की भी पूजा की जाती है। स्थापित माता की तस्वीर या मूर्ति के आसापस गंगाजल से छिड़काव करें और फिर पूजा सामग्री अर्पित करके हवन करें। हवन करते समय माता के साथ एक बार सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुति भी दें। हवन के समय दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक के साथ मां की आहुति दें। इसके साथ ही देवी के बीज मंत्र ‘ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:’ का 108 बार जप करते हुए आहुति दें और फिर परिवार के साथ माता की आरती उतारें। इसके बाद पूरे परिवार के साथ माता के जयाकरे लगाएं और कन्य पूजन शुरू करें। मां सिद्धिदात्री को भोग में हलवा व चना का विशेष महत्व रहता है। इसके साथ ही पूड़ी, खीर, नारियल और मौसमी फल भी अर्पित कर सकते हैं।

माता सिद्धिदात्री के मंत्र

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

मां सिद्धिदात्री की आरती

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता

तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!

कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम

जब भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,

तेरी पूजा में तो न कोई विधि है

तू जगदम्बे दाती तू सर्वसिद्धि है!!

रविवार को तेरा सुमरिन करे जो

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,

तुम सब काज उसके कराती हो पूरे

कभी काम उसके रहे न अधूरे!!

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया

रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया,

सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली

जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली!!

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा,

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता

वंदना है सवाली तू जिसकी दाता!!

 

 

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