भोंपूराम खबरी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुजुर्ग दंपति के बीच गुजारा भत्ते को लेकर चली आ रही लंबी कानूनी लड़ाई को लेकर मंगलवार को गंभीर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, लगता है कि कलयुग आ गया है। 80 साल की उम्र होने पर भी ऐसी कानूनी लड़ाई चिंता का विषय है। अलीगढ़ निवासी मुनेश कुमार गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने बुजुर्ग दंपति को सलाह देने की भी कोशिश की।
क्या है बुजुर्ग दंपति का पूरा मामला?
बता दें कि 80 साल के मुनेश कुमार गुप्ता स्वास्थ विभाग में सुपरवाइजर के पद से रिटायर हुए हैं। उनकी पत्नी गायत्री देवी की आयु 76 साल है। दोनों के बीच संपत्ति का विवाद चल रहा है। इसी साल 16 फरवरी को फैमिली कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था, जिसमें जज ज्योति सिंह ने आदेश दिया था कि पति अपनी पत्नी के भरण पोषण के लिए हर महीने 5 हजार रुपये दे। फैमिली कोर्ट के इसी आदेश को पति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
बताया जाता है कि संपत्ति को लेकर पति मुनेश कुमार गुप्ता का उनकी पत्नी गायत्री देवी से झगड़ा हो गया। मामला पुलिस के बीच पहुंचा और इसे परिवार परामर्श केंद्र ट्रांसफर कर दिया गया। हालांकि, बात नहीं बन सकी और उसके बाद दोनों अलग-अलग रहने लगे। फिर गायत्री देवी ने 2018 में फैमिली कोर्ट में याचिका दाखिल की और आजीविका के लिए बतौर मुआवजा पति से हर महीने 15 हजार रुपये देने की मांग की। पत्नी का कहना था कि उसके पति को हर माह करीब 35 हजार रुपये की पेंशन मिलती है और ऐसे में उसे मुआवजे के रूप में 15 हजार तो मिलना ही चाहिए। लेकिन कोर्ट ने अपने आदेश में मुनेश कुमार को गुजारा भत्ता देने के लिए तो कहा, पर सिर्फ 5 हजार रुपये हर माह। पति ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर 24 सितंबर को सुनवाई हुई।
जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी इस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा, ”लगता है कलयुग आ गया है। ऐसी कानूनी लड़ाई चिंता का विषय है।” उन्होंने दंपति को सलाह देने की भी कोशिश की। गायत्री का कहना था कि हमने गुजारा भत्ता मांगा था और फैमिली कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया है। उसके बाद पति ने कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।
फिलहाल, हाईकोर्ट ने गायत्री को नोटिस जारी किया है और कहा, हमें उम्मीद है कि अगली सुनवाई तक वो किसी समझौते पर पहुंच जाएंगी।