
भोंपूराम खबरी। तराई किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व संयुक्त किसान मोर्चा के की राष्ट्रीय समिति के सदस्य तजिंदर सिंह विर्क ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि किसानों को वित्त मंत्री ने ढेंगा दिखाया है।

भारत सरकार ने जिस तरह 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा को आश्वासन देकर धोखाधड़ी की थी उसी तरह संसद की कृषि संसदीय समिति की चारों सिफारिशों को एक तरफ से नकार दिया है। फसल बीमा के लिए पिछली बार 14, 600 करोड़ रुपए दिए थे उसे घटाकर 12,242 करोड़ कर दिया है। सरकार ने किसान सम्मान निधि, कर्ज माफी, एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी पर कोई प्रावधान नहीं किया है।
सरकार आयकर की सीमा 12 लाख 75 हजार करने को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन वास्तविकता यह है कि देश की 142 करोड़ की आबादी में से केवल 55 लाख परिवार ही ऐसे हैं जिनकी आमदनी एक लाख रुपए प्रति माह से अधिक है जबकि किसान परिवार की औसत आय 150 रुपए प्रतिदिन (औसतन 5सदस्य) से कम है। 2024 का न्यूनतम वेतन भी 178 रुपए यानी 5,340 रूपये प्रति माह है। सरकार को न्यूनतम मजदूरी दोगुनी करने और किसानों की आमदनी दोगुनी करने का प्रबंध करना था लेकिन उसने केवल देश की 2% आबादी को ही आयकर में छूट दी है। 98 %आबादी जिसमें से 50% किसान है जिनकी जीडीपी में भागीदारी 20 % है उनको पूरी तरह नकार दिया है।
उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा 2017 से लगातार समर्थन मूल्य (सी 2+50%) पर खरीद के लिए आंदोलन चलाया जा रहा है लेकिन सरकार ने खरीद की कानूनी गारंटी और कर्जा मुक्ति को लेकर बजट में कोई आवंटन नही किया है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफ़ारिशों को लागू करने की किसान संगठनों द्वारा कई बार मांग उठाई गई लेकिन स्वामीनाथन कमेटी की सिफ़ारिशें अभी तक लागू नहीं की गई है। नरेंद्र मोदी द्वारा सरकार संभालने के बाद से आज तक डेढ़ लाख किसानों द्वारा आत्महत्या की जा चुकी है लेकिन कृषि अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए बजट में किसानों की आबादी के अनुरूप बजट का आवंटन करना तो दूर 2019 में किसानों के लिए किए गए 5.44 प्रतिशत आवंटन को भी 2% घटा दिया गया है।
तजिंदर सिंह विर्क ने कहा यह बजट किसानों को और अधिक कर्जदार बनाएगा, इसके चलते आत्महत्याएं बढ़ेगी। सरकार ने कार्पोरेट का 16 लाख करोड़ रुपया माफ किया लेकिन किसानों को 16 हजार करोड़ की कर्ज माफी की घोषणा वित्त मंत्री ने नहीं की।
सरकार ने किसानों से आमदनी दोगुनी करने का वायदा किया था लेकिन सरकार अपना वायदा भूल गई है। प्राकृतिक आपदा से किसानों को होने वाले नुकसान का उचित मुआवजा देने पर भी सरकार कोई विचार नहीं कर रही