15.9 C
London
Thursday, September 19, 2024

ओरल कैंसर के स्टेज 4 के मरीज का मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज में हुआ सफल इलाज

- Advertisement -spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img

भोंपूराम खबरी,रूद्रपुर। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटपड़गंज नई दिल्ली की मल्टी डिसीप्लिनरी टीम ने कैंसर से पीड़ित 50 वर्षीय मरीज का सफलतापूर्वक इलाज किया।  मरीज गुरदेव सिंह स्टेज 4 के ओरल कैंसर से पीड़ित थे. मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, हेड एंड नेक कैंसर के डायरेक्टर डॉक्टर सौरभ अरोड़ा की देखभाल में मरीज का इलाज किया गया, जिसमें सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की गई. इससे बेहतर रिजल्ट आए और मरीज की जिंदगी में बदलाव आए.

जब मरीज गुरदेव सिंह जब मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज आए तब उनकी बाईं तरफ बकल मुकोसा में अल्सर था जो चार महीनों से ठीक नहीं हो पा रहा था। मरीज की बायोप्सी में कार्सिनोमा होने का पता चला. हालात को देखते हुए केस को ट्यूमर बोर्ड में डिस्कस किया गया, और एक व्यापक ट्रीटमेंट प्लान शुरू किया गया।

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटपड़गंज में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, हेड एंड नेक कैंसर के डायरेक्टर डॉक्टर सौरभ अरोड़ा ने कहा, “गहन जांच-पड़ताल के बाद सर्जरी करने का फैसला किया गया. बाईं तरफ की निचली जबड़े की हड्डी जो कैंसर से प्रभावित थी, उसका ट्यूमर बहुत ही एहतियात से निकाला गया. इसके साथ ही, बाईं ओर गर्दन नोड्स को भी हटा दिया गया. मरीज की सही रिकवरी और फंक्शनैलिटी को ध्यान में रखते हुए बोनी फ्लैप तकनीक का इस्तेमाल किया गया जिसमें निचले जबड़े की हड्डी के पुनर्निर्माण के लिए मरीज के पैर से निकाली गई हड्डी का उपयोग किया गया. गुरदेव सिंह की रिकवरी काफी अच्छी तरह हुई और 7-10 दिन के अंदर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया और वो सामान्य तरीके से मुंह से खाने लगे. हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी के सर्जन, मैक्सिलोफेशियल सर्जन, प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन, मेडिकल एंड रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट की टीम ने इस पूरे में अहम रोल निभाया।

डॉक्टर सौरभ ने आगे कहा, “मुंह के घावों के बारे में जल्दी पता लग जाने से इलाज के नतीजे पूरी तरह बदल जाते हैं. हाई रिस्क वाले लोगों को ओरल कैविटी के बारे में जागरूक होना चाहिए, और महीने में एक बार इसकी जांच करनी चाहिए. देश में बढ़ रहे कैंसर के मामले ये दर्शाते हैं कि इस बीमारी के बारे में लोगों के अंदर जागरूकता की कमी है, जिसके कारण रोग का देरी से पता चलता है और इलाज के बावजूद अच्छे नतीजे नहीं आते.”

कैंसर के इलाज और इसे रोकने के तरीकों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की जरूरत है. लाइफस्टाइल में बदलाव और समय पर डायग्नोज काफी अहम है. वहीं, आजकल बेहतर और एडवांस तकनीक आजकल उपलब्ध हैं. इसके अलावा बीमारी की प्रारंभिक पहचान बेहद जरूरी है क्योंकि लक्षण इग्नोर करने पर रोग की गंभीरता बढ़ सकती है और फिर इलाज में चुनौती पेश हो सकती है।  मुंह में छाले होना, निगलने के दौरान कठिनाई और दर्द, लाल या सफेद पैच जो मुंह के अंदर लगातार रहता है, इस तरह के लक्षणों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए. ऐसे लक्षणों को अनदेखा करने से गांठ बढ़ सकती है जो घातक ट्यूमर में बदल सकता है

Latest news
Related news
- Advertisement -spot_img

Leave A Reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »