

भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। उत्तराखंड की सियासत में ऊधम सिंह नगर ज़िले के पंचायत चुनाव के नतीजे किसी साधारण जीत की दास्तान नहीं, बल्कि एक भावनात्मक जनसमर्थन की गाथा बन गए हैं। किच्छा विधानसभा से कांग्रेस विधायक और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलक राज बेहड़ ने वो कर दिखाया है, जो आज की राजनीति में दुर्लभ होता जा रहा है — चरित्रहनन, सांप्रदायिक विद्वेष और सत्ता के दंभ का जवाब जनआशीर्वाद से देना।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दोपहरिया, प्रतापपुर और कुरैया जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों ने निर्णायक जीत दर्ज की। यह जीत केवल आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि उस जनसमर्थन की मुहर है, जो बेहड़ की सरलता, समर्पण और साफ नीयत पर जनता ने लगाई। खास बात यह रही कि भाजपा ने इन सीटों पर पूरी ताकत झोंकी थी। पूर्व विधायक राजेश शुक्ला, मेयर विकास शर्मा, प्रभारी मंत्री और सांसद — सभी प्रचार मैदान में थे। लेकिन अकेले तिलक राज बेहड़ अपने विचारों, विकास के विज़न और ज़मीनी जुड़ाव के दम पर डटे रहे।
गुरदास कालरा ने दोपहरिया सीट से 8331 वोट पाकर लगभग 1700 मतों से जीत दर्ज की। प्रतापपुर से प्रेम प्रकाश आर्य ने 10080 मतों के साथ बाजी मारी, जबकि कुरैया की हॉट सीट से सुनीता सिंह ने 9031 मतों के साथ निर्णायक जीत हासिल की। यह तीनों प्रत्याशी सामाजिक रूप से साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं, लेकिन बेहड़ की राजनीतिक छांव में इन्होंने इतिहास रच दिया।
चुनाव प्रचार के दौरान बेहड़ पर व्यक्तिगत और परिवारिक हमले किए गए। विरोधियों ने उनके बच्चों तक को नहीं बख्शा। कहा गया कि जैसे वह रुद्रपुर से हारे, अब किच्छा से भी उनका “बोरिया-बिस्तर” बांध देंगे। परन्तु बेहड़ ने यह चुनाव अपनी अस्मिता, कार्यकर्ताओं के आत्मसम्मान और क्षेत्र के विकास के लिए लड़ा — और जीता।
चार बार रुद्रपुर से विधायक रहे बेहड़सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति के शिकार होकर दो बार हारे, लेकिन न तो उनके इरादे डगमगाए, न जनता से रिश्ता टूटा। 2022 में किच्छा से चुनाव जीतने के बाद उन्होंने जिस निष्ठा और लगन से क्षेत्र में कार्य किया, उसी का परिणाम है यह पंचायत चुनाव की अभूतपूर्व विजय।
विजय के बाद उन्होंने कहा, “हमने जाति, धर्म और दलगत सीमाओं से ऊपर उठकर केवल विकास को मुद्दा बनाया। यह जीत किच्छा-रुद्रपुर के हर कार्यकर्ता की है, जिनकी मेहनत ने मेरी आवाज़ को जनआंदोलन में बदल दिया।”
इस जीत ने यह सिद्ध कर दिया कि जब नेतृत्व में ईमानदारी हो, वाणी में सौम्यता हो और दृष्टि में विकास हो — तब जनता हर दुष्प्रचार, हर कुत्सित प्रयास को नकार देती है। किच्छा की यह जीत केवल तीन सीटों की नहीं, यह जनमानस के आत्म-सम्मान और राजनीतिक मर्यादा की जीत है।
संपादकीय टिप्पणी
“जिन्होंने अभद्रता बोई, उन्हें जनता ने जवाब दिया विकास की भाषा में”
राजनीति में जब बहस विकास से भटककर व्यक्ति की छवि पर वार करने लगे, जब बच्चों तक को निशाना बनाया जाए, तब ऐसे समय में तिलक राज बेहड़ जैसे नेता उम्मीद की तरह खड़े दिखाई देते हैं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि चुनाव केवल नारों और शक्ति प्रदर्शन से नहीं, बल्कि जनता के साथ सच्चे रिश्ते और विकास के कर्मपथ से जीते जाते हैं।
जिस अभद्रता और दुर्भावना से उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश की गई, उसका जवाब उन्होंने भाषणों में नहीं, वोटों में दिया। न कोई शिकायत, न कोई पलटवार — सिर्फ अपने लोगों के बीच जाकर यह विश्वास दिलाना कि “मैं आपके लिए हूं, आपके साथ हूं।”
बात सिर्फ तीन सीटों की नहीं है। बात उस उम्मीद की है, जो इस बार फिर से ज़िंदा हुई है — कि राजनीति अभी पूरी तरह कलुषित नहीं हुई है, कि सादगी, सौम्यता और सत्य के लिए अब भी दिल धड़कते हैं।
बेहड़ ने अपने राजनीतिक शत्रुओं को नहीं, बल्कि लोकतंत्र की गरिमा को जीतने का लक्ष्य बनाया — और यही उनकी सबसे बड़ी विजय है।
– मनीष आर्या
– (कार्यकारी संपादक)