Sunday, June 15, 2025

लकड़ी कारोबारियों के लिए कर का बोझ बना चुनौती

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भोंपूराम खबरी,काशीपुर। कुमाऊं के प्रवेश द्वार के रूप में विख्यात जसपुर की लकड़ी मंडी में इन दिनों कारोबार चुनौती बना हुआ है। व्यापारियों की मानें तो लगातार बढ़ रहा कर का बोझ प्रशासन का राजस्व तो भर रहा है लेकिन उनके लिए सुविधाएं न के बराबर हैं। एशिया की बड़ी मंडियों में शुमार जसपुर में रोजाना 1000 क्विंटल काष्ठ और प्रकाष्ठ का कारोबार होता है 400 फर्मों से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से करीब 5000 से अधिक लोग इससे जुड़े हुए हैं।

बताते हैं कि मंडी का इतिहास सौ साल से भी पुराना है। लेकिन मंडी व्यापारियों को अब इसे चलाने में अतिरिक्त शुल्क की अदायगी करनी पड़ती है। जिससे उनकी जेबों पर भार बढ़ रहा है। घने जंगलों से घिरे जसपुर स्थित मंडी का इतिहास 100 साल से भी पुराना बताया जाता है उत्तर भारत के लगभग हर बड़े शहर में यहां की लकड़ी और उससे निर्मित सामान पहुंचता है साल, सागौन, शीशम, पॉप्लर यूकेल्पिटस आदि किस्में यहां पर विशेष रूप से पाई जाती हैं।

अधिकांश मुस्लिम समुदाय के लोग इस कारोबार को करते हैं। उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के वन विभाग से लकड़ियां यहां लाकर बेची जाती हैं। गोल लठ्ठे के रूप में लकड़ियां डिपो के जरिये यहां पहुंचती हैं लकड़ी खरीदने के लिए होने वाली प्रति वर्ष नीलामी ऑनलाइन एवं ऑफलाइन भी की जाती है। कारोबारी, लेवर मशीन ऑपरेटर सहित लगभग 5000 लोग इस कारोबार से जुड़े हैं। लकड़ी के कारोबार से राज्य एवं केंद्र सरकार को जीएसटी के रूप में बड़े पैमाने पर आमदनी होती है।

मंडी में सेल टैक्स ऑफिस एवं हाइड्रेट बनाए जाने समेत श्रमिकों के कल्याण की योजना लागू किए जाने की जरूरत है। लकड़ी व्यापारी प्रति वर्ष सरकार को करोड़ों रुपये का टैक्स देते हैं। इसके बाद भी सरकार उन्हें कोई मूलभूत सुविधा नहीं दे रही है। आरा मशीन एवं दुकानों पर श्रमिक दुर्घटना शिकार होते रहते हैं। इनके कल्याण लिए सरकार ने कोई योजना भी नहीं बनाई शाहनवाज आलम, अध्यक्ष, लकड़ी व्यापार कल्याण समिति, जसपुर

18 प्रतिशत जीएसटी के बाद भी शुल्क रहे वसूल

लकड़ी मंडी के व्यापारियों ने बताया कि लकड़ी के लिए वो 18 प्रतिशत जीएसटी चुका रहे हैं। इसके बाद उनसे मंडी शुल्क के नाम पर तीन प्रतिशत वसूली की जा रही है। इसके बावजूद उन्हें लकड़ी उठाने के लिए 500 रुपये तक लेबर को देने पड़ते हैं। इस प्रकार उन्हें जीएसटी के अलावा अन्य खर्चों को वहन करना पड़ता है। व्यापारियों ने कहा कि जब हम जीएसटी दे रहे हैं, तो फिर अन्य शुल्क चुकाने का क्या मतलब हमें सारी सुविधा सरकार को मुहैया करवानी चाहिए।

इन जगहों पर निर्यात होते हैं सामान

जसपुर लकड़ी मंडी में । सामान की निर्यात कई राज्यों व शहरों में होता है। जिनमें हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल, दिल्ली, गुजरात, एमपी, यूपी एवं महाराष्ट्र आदि शामिल हैं। यहां 150 रुपये से लेकर 2500 रुपये क्विंटल तक की लकड़ी विकती है

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