Monday, December 22, 2025

रामपुर प्रशासन का अमर उजाला पर बड़ा आरोप: ‘ब्लैकमेलिंग’ के लिए दूसरे राज्य की फोटो दिखा फैलाई जा रही फर्जी खबर

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भोंपूराम खबरी। यूपी के जनपद रामपुर के जिला प्रशासन ने दैनिक समाचार पत्र ‘अमर उजाला’ पर तथ्यों को जानबूझकर तोड़ने-मरोड़ने, भ्रामक सूचनाएं फैलाने और निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए अधिकारियों को ब्लैकमेल करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। आज दिनांक 21.12.2025 को प्रशासन ने जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी के निर्देश पर इस मामले का कड़ा संज्ञान लेते हुए स्थानीय संपादक और ब्यूरो चीफ को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्ट किया है कि पत्रकारिता की आड़ में प्रशासन की छवि धूमिल करने का सुनियोजित प्रयास किया जा रहा है।

रामपुर जिला प्रशासन के अनुसार, अमर उजाला के संपादक शशांक मिश्रा द्वारा एक वीडियो और कुछ छायाचित्रों के माध्यम से जनपद में अवैध खनन होने का दावा किया गया था। प्रशासन ने जब इन साक्ष्यों की तकनीकी और जीपीएस (GPS) जांच कराई, तो एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया। जांच में यह निर्विवाद रूप से प्रमाणित हुआ कि जिस स्थान को रामपुर का बताकर प्रचारित किया गया, वह वास्तविकता में जनपद ऊधम सिंह नगर, उत्तराखंड राज्य के अंतर्गत आता है। प्रशासन का कहना है कि दूसरे राज्य के भौगोलिक दृश्यों को रामपुर का बताकर जनता के बीच भ्रम और भय का माहौल पैदा करने का कुत्सित प्रयास किया गया है।

इसी क्रम में आज अमर उजाला में प्रकाशित समाचार शीर्षक “रामपुर–उत्तराखण्ड सीमा पर अवैध खनन क्षेत्र में जाने की इजाजत नहीं, कोसी के तट पर माफिया कर्फ्यू” को जिला प्रशासन ने पूरी तरह तथ्यहीन और भ्रामक करार दिया है। इस समाचार के संदर्भ में जिलाधिकारी के निर्देश पर उप जिलाधिकारी स्वार, क्षेत्राधिकारी, तहसीलदार और प्रभारी निरीक्षक द्वारा स्थलीय निरीक्षण कर विस्तृत आख्या प्रस्तुत की गई। अधिकारियों की संयुक्त रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोसी नदी के तट पर किसी भी प्रकार के माफिया का कोई आतंक या ‘कर्फ्यू’ जैसी स्थिति विद्यमान नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्र में विधि-व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रित है और कृषक अपने खेतों में सामान्य रूप से कृषि कार्य कर रहे हैं। प्रशासन ने आरोप लगाया है कि बिना किसी सक्षम स्तर से पुष्टि किए अचानक इस प्रकार की असत्य खबर का प्रकाशन अखबार की दूषित मानसिकता और स्वार्थसाधना के उद्देश्य को परिलक्षित करता है।

प्रशासन के इन आरोपों को स्टोन क्रशर एसोसिएशन के बयानों से भी बल मिला है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरजीत सिंह ने उच्चाधिकारियों से मुलाकात कर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि समाचार पत्र द्वारा उत्तराखंड की फोटो को रामपुर के स्वार क्षेत्र का बताकर भ्रामक खबरें फैलाई गई हैं, जिससे स्थानीय कारोबारियों की छवि को अपूरणीय क्षति पहुँची है। एसोसिएशन ने इसे व्यवसायियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और उन्हें बदनाम करने की एक सोची-समझी साजिश बताया है।

इसके अतिरिक्त, नगर मजिस्ट्रेट रामपुर ने भी अमर उजाला को एक पृथक नोटिस जारी कर ‘फर्जी ज्ञापन’ की कहानी का पर्दाफाश किया है। अखबार ने अपनी खबर में दावा किया था कि ग्रामीणों ने स्टोन क्रशर के विरोध में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है, जबकि नगर मजिस्ट्रेट ने स्पष्ट किया है कि जिलाधिकारी या किसी अन्य प्रशासनिक अधिकारी को ऐसा कोई ज्ञापन कभी प्राप्त ही नहीं हुआ। प्रशासन ने इसे अधिकारियों पर दबाव बनाने और उनका मनोबल तोड़ने का एक खतरनाक प्रयास माना है।

जिला प्रशासन ने अमर उजाला को निर्देशित किया है कि वह अपनी भ्रामक खबरों के संबंध में मुख्य पृष्ठ पर उसी आकार में खंडन प्रकाशित करे, जिस आकार में भ्रामक समाचार प्रसारित किए गए थे। प्रशासन ने कड़ी चेतावनी दी है कि यदि संतोषजनक स्पष्टीकरण और खंडन प्रकाशित नहीं किया जाता है, तो संबंधित संपादक और समाचार पत्र मंडल के विरुद्ध मानहानि का दावा और कठोर वैधानिक कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी स्वयं समाचार पत्र की होगी।

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