Thursday, April 24, 2025

कुमाऊं भर में लोग साइबर ठगों के फेंके जाल में फंस रहे, नौकरीपेशा और रिटायर्ड अधिकारी बन रहे शिकार

Share

भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। साइबर ठगों की ओर से सीबीआई, पुलिस का डर दिखाकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर मेहनत की कमाई हड़पने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कुमाऊं भर में लोग ठगों के फेंके जाल में फंस रहे हैं। साइबर ठग सेवानिवृत्त या बेहतर नौकरीपेशा लोगों को निशाना बना रहे हैं। साइबर पुलिस के अनुसार सीबीआई या कोई अन्य एजेंसी ऑनलाइन पूछताछ नहीं करती है।

साइबर ठग शेयर बाजार में निवेश या अन्य प्रकार से रुपये कमाने का लालच देकर लोगों को झांसे में लेकर उनके खाते खाली कर देते हैं। कुछ समय से साइबर ठग ऑनलाइन तरीके से लोगों को डराकर खाते खाली कर रहे हैं।

ठग किसी सरकारी एजेंसी सीबीआई, ईडी, पुलिस का नाम लेकर लोगों को किसी केस में फंसाने का डर दिखाते हैं। जब व्यक्ति ठगों के चंगुल में फंस जाता है तो उसे डिजिटल अरेस्ट कर दिया जाता है। बेहद संगठित ढंग किए जाने वाले अपराध में जब तक व्यक्ति को ठगी का अहसास होता है तक बत उसका खाता खाली हो चुका होता है।

नैनीताल के प्रोफेसर संजय घिल्डियाल को 05 दिसंबर 2024 को अज्ञात फोन नंबर से कॉल आई कि आपके आधार कार्ड पर सिम कार्ड लिया गया है। इससे अवैध लेनदेन किया जा रहा है। फोन करने वालों ने खुद को सीबीआई से बताया। इसके बाद उनसे छह बार 47,00,000 रुपये ट्रांसफर कराए गए। बाद में उन्हें ठगी का एहसास हुआ।

लोहाघाट निवासी गणेश सिंह बोहरा असम राफल्स से सूबेदार पद से रिटायर हुए थे। 23 अक्तूबर को ठग ने कॉल कर मनी लांड्रिंग केस में शामिल होने और मुंबई पुलिस स्टेशन में केस दर्ज होने की बात की थी। सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कॉल के माध्यम से वर्चुअल पेश करने की बात कही थी। उनसे एक करोड़ से अधिक की ठगी की गई थी।

खटीमा निवासी पूर्व सैनिक जगजीवन सिंह को डिजिटल अरेस्ट कर 14 लाख की ठगी की गई थी। 16 नवंबर को ठग ने कॉल कर खुद को आरबीआई क्रेडिट कार्ड सेंटर से होना बताया था। उनको जारी हुए एसबीआई का क्रेडिट कार्ड में 1,13,626 रुपये का भुगतान बकाया होने की बात कही थी।

ताजे मामले में नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड से 2013 में रिटायर हुए सहायक प्रबंधक हर सिंह अधिकारी को सीबीआई का डर दिखाकर साइबर ठगों ने पहले उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया और फिर 1.02 करोड़ रुपये ठग लिए। अपराधियों ने उनके और उनकी पत्नी के तीन बैंक खातों से यह राशि ट्रांसफर करा ली।

मनी लांड्रिंग, या ड्रग्स का दिखाते हैं डर

डिजिटल अरेस्ट के मामलों में साइबर ठग पहले कॉल सेंटर या अन्य सर्विस प्रोवाइड कंपनी के कर्मचारी बनकर कॉल करते हैं। इसके बाद कॉलर की कॉल को दूसरे ठग को ट्रांसफर किया जाता है। जहां कॉल ट्रांसफर हो रही होती है, उसे सीबीआई, आईबी, ईडी या पुलिस अधिकारी बताया जाता है। इसके बाद अधिकारी बना ठग पीड़ित के नाम पर आए कूरियर में ड्रग्स होने, मानव तस्करी गिरोह की ओर से संचालित खाते में पीड़ित का आधार कार्ड का इस्तेमाल, मनी लॉन्ड्रिंग, फाइनेंशियल ठगी में खाते का प्रयोग होने का डर दिखाया जाता है।

किसी अनजान व्यक्ति को खातों या व्यक्तिगत जानकारियां साझा न करें। अगर कोई कहे कि पूछताछ की जानकारी परिजनों को नहीं देनी है और अकेले कमरे में रहना है तो समझ जाएं कि आप डिजिटल अरेस्ट हो रहे हैं।

सीबीआई या कोई भी सरकारी एजेंसी डिजिटल अरेस्ट

कर पूछताछ नहीं करती है। ऐसी पूछताछ का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। अगर कोई कॉल कर डिजिटल अरेस्ट की बात कर डराता धमकाता है तो सीधे शिकायत 1930 या नजदीकी पुलिस स्टेशन में करें। -अशोक कुमार, प्रभारी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन।

Read more

Local News

Translate »