Sunday, April 27, 2025

जानिए, 31 मार्च को कौन सा नवरात्र है? आज दूसरा और तीसरा नवरात्र एक साथ मनाया जाएगा !!

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भोंपूराम खबरी।

नवरात्रि पूजा सामग्री लिस्ट

एक चौकी, लाल कपड़ा, अक्षत, माता जी की प्रतिमा या चित्र, गणेश जी की प्रतिमा या चित्र, पीतल या तांबे का कलश/लोटा, सिक्का, पुष्प, लाल चुनरी, मौली, मिट्टी का बड़ा दीपक, लौंग, इलायची, ऋतु फल, बताशे या मिश्री और कपूर।

द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी हिमालय और देवी मैना की पुत्री हैं, जिन्होंने नारद मुनि के कहने पर भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी और इसके प्रभाव से उन्होंने भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त किया था। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि तपस्या के दौरान माता के इस रूप ने तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बेल पत्र खाए थे। वे हर दुख सहकर भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। ज‍िसके बाद उन्होंने बेल पत्र का भी त्याग कर दिया था। फिर कई हजार वर्षों तक उन्होंने निर्जल व निराहार रहकर तपस्या की, जब उन्होंने पत्तों को खाना छोड़ा तो उनका नाम अपर्णा पड़ गया। घोर तपस्या के कारण माता का शरीर एकदम क्षीर्ण हो गया। जिसे देखकर देवी-देवता, ऋषि,और मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताकर सराहना की। फिर कुछ समय के बाद भगवान शिव ने इन्‍हें दर्शन द‍िए और इन्हें पत्नी रूप में स्‍वीकार क‍िया था। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मनुष्‍य को सर्व सिद्धि की प्राप्ति होती है।

तृतीय मां चंद्रघंटा की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, दानवों के बढ़ते आतंक को खत्म करने के लिए माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का रूप धारण किया था। महिषासुर राक्षस ने देवराज इंद्र का सिंहासन हड़प लिया था और वो स्वर्ग लोक में अपना राज करना चाहता था। उसकी इस इच्छा को जानकर देवी-देवता चिंतित हो गए। इस समस्या में देवी-देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मदद मांगी। उनकी इस बात को सुनकर त्रिदेव क्रोधित हुए। इस क्रोध के चलते तीनों के मुख से जो ऊर्जा उत्पन्न हुई उससे एक देवी का जन्म हुआ। उन देवी को देवों के देव महादेव ने अपना त्रिशूल और भगवान विष्णु ने अपना चक्र प्रदान किया। इसी तरह से सभी देवी-देवताओं ने भी देवी को अपने-अपने अस्त्र सौंप दिए। वहीं, स्वर्ग के राजा इंद्र ने मां को अपना एक घंटा दिया। इसके पश्चात मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध करने के लिए उसका सामना किया। महिषासुर को मां के इस रूप को देख अहसास हुआ कि उसका काल नजदीक है। महिषासुर ने माता रानी पर हमला बोल दिया। फिर मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का संहार कर दिया। इस प्रकार से मां चंद्रघंटा ने संसार की रक्षा की थी।

 

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