
भोंपूराम खबरी। उत्तराखंड उच्च न्यायलय ने राज्य सरकार द्वारा किच्छा नगर पालिका का आरक्षण तय होने के बाद भी चुनाव नहीं कराए जाने संबंधी मामले में राज्य सरकार से दो दिन में यह बताने को कहा है कि जब आरक्षण तय हो गया है तो चुनाव क्यों नही हुए ?

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि किच्छा नगर पालिका में पिछले डेढ़ साल से प्रशासक ही सभी कार्य कर रहे हैं। सभी नगर पालिकाओं का चुनाव हो चुका है, लेकिन किच्छा नगर पालिका का चुनाव अभी तक नही हुआ।
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि किंच्छा निवासी नईमूल हुसैन ने याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने 14 दिसम्बर को प्रदेश के 43 नगर पालिका अध्यक्ष पदों के लिये प्रस्तावित आरक्षण की अधिसूचना जारी कर उसमें आम जनता से आपत्तियां मांगी थी। लेकिन इस अधिसूचना में किंच्छा नगर पालिका अध्यक्ष पद के आरक्षण का उल्लेख नहीं था, जिससे यह आशंका है कि सरकार वहां नगर पालिका चुनाव टालना चाहती है।
इसके अलावा आरक्षण आवंटन नियमावली के अनुसार पालिका अध्यक्ष के जितने भी पद होंगे उसी के अनुसार रोस्टर के आधार पर आरक्षण निर्धारित होगा, लेकिन वर्तमान में सरकार ने 43 पालिका अध्यक्ष पदों के आधार पर ही रोस्टर तय किया है ।याचिकाकर्ताओं के अनुसार सरकार ने पूर्व में किंच्छा नगर पालिका के कुछ वार्ड गांवों में मिला दिए थे, जिस पर इसी न्यायालय ने रोक लगा दी थी।
इसके बाद सरकार ने इन क्षेत्रों को पुनः नगर पालिका में मिला दिया। अब वहां नगर पालिका के चुनाव टालने की कोशिश की जा रही है। पूर्व में न्यायालय ने सरकार से कहा कि किच्छा नगर पालिका का आरक्षण तय करें। अब आरक्षण भी तय हो चुका है ,लेकिन चुनाव नही कराया गया। इसलिए शीघ्र वहाँ नगर पालिका का चुनाव कराया जाए।