
भोंपूराम खबरी। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने पूर्व विधायक कुंवर प्रणव ‘चैंपियन’ और विधायक उमेश शर्मा के बीच हुई सार्वजिक लड़ाई संबंधी स्वतः संज्ञान याचिका में आज सरकार से सभी पूर्व और वर्तमान विधायकों के आपराधिक मुकदमों की रिपोर्ट देने को कहा है जिससे एम.पी./एम.एल.ए.कोर्ट में छह माह में निर्णय लिया जा सके।

न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने कहा कि विधायक को वाई प्लस सिक्यूरिटी क्यों दी गई है ? पूर्व विधायक का आवास खाली क्यों नहीं कराया गया है ?
गुरुवार शाम को उच्च न्यायालय में दो विधायकों के बीच रुड़की में हुए हंगामे पर एक बार फिर सुनवाई हुई। घटना के बाद न्यायालय ने घटना का स्वतः संज्ञान लिया था और सरकार से जवाब मांगा था। न्यायालय के सुओ मोटो(स्वतः संज्ञान)लेने के बाद मामले में बुधवार को सुनवाई हुई।
जिसमें उप महाधिवक्ता जे.एस.विर्क ने न्यायालय को बताया कि सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कुछ कदम उठाए हैं, जिसमें (1)एक समिति बनाई गई है जो इस मामले की जांच कर अल्प समय में निर्णय लेगी। (2)सिंचाई विभाग के बंगले को आवासीय कार्य के लिए इन राजनीतिज्ञों को अलॉट करने पर उसे कैंसिल(रद्द) करने के लिए संबंधित सचिव को सूचित किया गया है। (3) न्यायालय को आरोपियों के आपराधिक इतिहास की जानकारी नहीं देने वाले अभियोजन अधिकारी(प्रॉसिक्यूशन ऑफिसर)से जवाब तलब किया जाएगा।
उन्होंने न्यायालय को सूचित किया कि पूर्व विधायक चैंपियन को भवन का किराया ₹9209/= जबकि विधायक उमेश शर्मा को केवल ₹1693/= पड़ता है। रुड़की क्षेत्र के रहने वाले कुछ अधिवक्ताओं ने न्यायालय से शहर के मध्य बने इस सरकारी भवन का वास्तविक किराया बताया।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने दो राजनेताओं और उनके समर्थकों के बीच हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर सरकारी अधिवक्ता के अधिक जानकारी देने के लिए गुरुवार शाम सुनवाई तय हुई।
आज, इस दुस्साहसिक घटना पर नाराज होते हुए न्यायमूर्ति थपलियाल ने सरकार से सभी पूर्व और वर्तमान विधायकों पर दर्ज मुकदमों पर रिपोर्ट जमा करने को कहा जिससे एम.पी./एम.एल.ए.कोर्ट में छह माह में निर्णय लिया जा सके। इसके अलावा सरकार से इन दोनों विधायकों के आपराधिक मुकदमों पर भी संबंधित कोर्ट में जल्द निर्णय लेने को कहा। न्यायालय ने पूछा है कि पूर्व विधायक से सरकारी भवन खाली क्यों नहीं कराया गया है ? न्यायालय ने विधायक उमेश को दी गई वाई प्लस सिक्युरिटी की जानकारी मांगी है ? न्यायालय ने ये भी पूछा है कि एस.एस.पी.को धमकी देने वाले के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नहीं कि गई है ?