

भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। पूर्व दर्जा राज्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ गणेश उपाध्याय ने उत्तराखंड सरकार पर उत्कृष्ट विद्यालय के नाम पर शासनादेश जारी कर शिक्षा अधिकार अधिनियम का उल्लंघन का आरोप लगाया है।

उन्होंने प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में कहा है कि सरकार जिले से लेकर प्रदेश तक हज़ारों प्राथमिक विद्यालयों को उत्कृष्ट विद्यालय के नाम पर समाप्त कर देना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने उत्कृष्ट विद्यालय के लिए क्लस्टर विद्यालय बनाने का अव्यवहारिक निर्णय लिया है।उन्होंने कहा कि दूर दराज के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के माता – पिता प्रतिदिन दैनिक मजदूरी करके गुजारा करते हैं। यदि 5 किमी के दायरे में आने वाले प्राइमरी और जूनियर स्कूलों को किसी क्लस्टर विद्यालय में मिलाया जाता है तो हजारों गरीब बच्चों के हितों पर कुठाराघात होगा। क्योंकि गाँव में ही स्कूल होने पर ये बच्चे सुरक्षित रुप से जैसे-तैसे देर – सवेर स्कूल पहुँच ही जाते है। यदि गाँव का स्कूल बंद कर दूर दराज के क्लस्टर विद्यालय में जाना हो तो ये नही जा सकते , ये बच्चे आयु में छोटे होते है और इनके माँ- बाप के पास बच्चे को स्कूल छोड़ने का समय नहीं होता। वह सुबह सवेरे ही दैनिक मजदूरी पर निकल जाते हैं। ऐसे में इनकी शिक्षा का बाधित होना लाज़मी है,गाँव से किसी दूर के स्कूल आवागमन पूरी तरह असुरक्षित है। मार्ग में बड़े मोटर-वाहनों से आये दिन दुर्घटनायें देखने को मिलती है। ऐसे में नन्हे मुन्ने बच्चों को प्रतिदिन सुरक्षित आवागमन बच्चों के मां बाप के लिए एक चुनौती बन गया है।
श्री उपाध्याय ने कहा कि जनपद में पूर्व में भी एक बार ट्रांसपोर्ट की सुविधा देने के नाम पर स्कूलों का विलीनीकरण किया जा रहा था। जिसके विरुद्ध उनकी जनहित याचिका दायर की गयी। जिसमें माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष उत्तराखंड सरकार की शिक्षा अधिकार अधिनियम के उल्लंघन तथा शिक्षा में मनमाने प्रयोग पर रोक लगी थी। अधिनियम में स्पष्ट किया गया कि प्रत्येक 1 किमी के दायरे में एक प्राथमिक और 3 किमी के दायरे में जूनियर स्कूल होगा ऐसे में 5 किमी के दायरे के स्कूलों को क्लस्टर के नाम पर एकीकरण किया जाना ” शिक्षा अधिकार अधिनियम” का खुलेआम उल्लंघन तो है। साथ में प्रदेश के हज़ारों युवाओं के रोजगार को समाप्त करने की अप्रत्यक्ष साजिश भी है। ऐसा किये जाने से राज्य में शिक्षकों के पद समाप्त होगे जो उत्तराखण्ड में युवाओं की एक बड़ी उम्मीद होते है।
उन्होंने कहा कि एक बार फिर माननीय उच्च न्यायालय में अवहेलना को लेकर याचिका दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में शिक्षा विभाग के अधिकारी पूरी तरह दोषी है जो शासनादेश का हवाला देकर स्कूलों का अस्तित्व समाप्त करने का ताना-बाना बुन रहे हैं।