Tuesday, October 28, 2025

धान का भुगतान न होने पर बिफरे पूर्व दर्जा मंत्री उपाध्याय

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भोंपूराम खबरी। उत्तराखंड सरकार द्वारा किसानों के प्रति घोर लापरवाही और अनदेखी की जा रही है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। मैंने लगभग दो-तीन वर्ष पूर्व नैनीताल हाई कोर्ट के डबल बेंच में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें किसानों के धान और गेहूं के भुगतान में देरी की समस्या का उल्लेख किया गया था।

इस मामले में डबल बेंच ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें उत्तराखंड सरकार ने एफिडेविट दाखिल कर 24 घंटे से लेकर 72 घंटे के भीतर किसानों का भुगतान करने का वादा किया था। मेरे द्वारा शांतिपुरी में धान की 23 कुंतल तोल की गई थी, जिसका मूल्य लगभग 54,000 रुपये है, लेकिन आज 11 दिन बीत जाने के बावजूद भुगतान नहीं हुआ है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य बहुत कम मिलता है, और बेमौसम की बारिश, जंगली जानवरों और पालतू जानवरों से सामना करने के बाद जब किसान तोल केंद्र में धान तुलवाता है, तो वह अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करता है। अब आप समझ सकते हैं कि किसानों ने दीपावली और छठ पूजा का त्योहार कैसे मनाया होगा। मैं शीघ्र ही उत्तराखंड सरकार के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में अवहेलना का मामला दर्ज करूंगा। अभी-अभी मेरी बात खाद्य रसद सचिव फैनई जी से हुई है, जिन्होंने बताया कि भारत सरकार का पैसा आ चुका है। मैंने कहा कि आपको समय पर वेतन मिलता है, लेकिन किसान अपनी फसलों पर निर्भर रहता है। किसानों ने अपनी दीपावली और छठ पूजा कैसे मनाई होगी, यह कल्पना करना मुश्किल है। उत्तराखंड सरकार को इस घोर लापरवाही की जिम्मेदारी जरूर भुगतनी होगी।

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