
भोंपूराम खबरी,हल्द्वानी। तराई और भाबर क्षेत्र में ठंड का असर बढ़ते ही रूस और साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। हर साल मौसम परिवर्तन के साथ ये विदेशी प्रवासी पक्षी उत्तराखंड के तराई-भाबर क्षेत्र के जलाशयों को अपना अस्थायी बसेरा बनाते हैं। बैगुल, शारदा सागर, नानकमत्ता और धौरा जलाशय इन पक्षियों के प्रमुख प्रवास स्थल माने जाते हैं, जहां बड़ी संख्या में दुर्लभ और आकर्षक प्रजातियों के पक्षी देखे जा रहे हैं।

प्रवासी पक्षियों के आने के साथ ही इनके शिकार की आशंका भी बढ़ जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत कर दिया है। वन विभाग की टीमें लगातार गश्त कर रही हैं और संवेदनशील इलाकों पर विशेष नजर रखी जा रही है। इस बार खास बात यह है कि विभाग ने जलाशयों में निगरानी के लिए आधुनिक इलेक्ट्रिक मोटर बोट की व्यवस्था की है, जिससे पानी के भीतर और आसपास के क्षेत्रों में तेज़ी से गश्त की जा सके।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इलेक्ट्रिक मोटर बोट से न केवल निगरानी अधिक प्रभावी होगी, बल्कि शोर भी कम होगा, जिससे प्रवासी पक्षियों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। साथ ही शिकारियों की गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई करना भी आसान होगा। इसके अलावा स्थानीय लोगों से भी अपील की गई है कि वे प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा में सहयोग करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत वन विभाग को दें।
वन विभाग का उद्देश्य है कि प्रवासी पक्षियों को सुरक्षित वातावरण मिले और तराई-भाबर क्षेत्र की जैव विविधता बनी रहे। कड़ी निगरानी और आधुनिक संसाधनों के जरिए इस बार प्रवासी पक्षियों के संरक्षण को लेकर प्रशासन पूरी तरह गंभीर नजर आ रहा है।


