Thursday, March 13, 2025

शाहजहांपुर में लाट साहब होली जुलूस के लिए 250 दारोगा, 1500 जवान तैनात; जान लीजिए इतिहास

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भोंपूराम खबरी। यूपी के शाहजहांपुर में हर साल की तरह इस बार भी होली के दिन लाट साहब का जुलूस निकाला जाएगा। जुलूस मार्ग पर सुरक्षा पुख्ता कर ली गई है। मस्जिदों को तिरपाल से ढका दिया गया है। बड़े लाट साहब के जुलूस को तीन जोन और आठ सेक्टरों में बांटा गया है, जिसमें करीब 100 मजिस्ट्रेट कार्यक्रम की निगरानी के लिए तैनात किए गए हैं। शाहजहांपुर के एसपी ने कहा कि 10 पुलिस थानों के 250 सब-इंस्पेक्टर समेत करीब 1,500 पुलिसकर्मी मार्ग पर तैनात रहेंगे।

प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) की दो कंपनियां भी तैनात की जाएंगी। उन्होंने कहा कि अधिकारी केंद्रीय नियंत्रण कक्ष के जरिए जुलूस की लाइव निगरानी करेंगे। नगर आयुक्त विपिन कुमार मिश्रा ने बताया कि मार्ग की निगरानी के लिए करीब 350 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमने सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए करीब 20 मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया है और मस्जिदों और बिजली के ट्रांसफार्मर के पास बैरिकेड्स लगा दिए हैं।

जानें इतिहास के बारे में

शाहजहांपुर में स्वामी सुकदेवानंद कॉलेज में इतिहास विभाग के प्रमुख इतिहासकार विकास खुराना ने जुलूस की उत्पत्ति के बारे में जानकारी साझा की। शाहजहांपुर में रहने वाले नवाब अब्दुल्ला खान एक बार विवाद के बाद नाराज होकर फर्रुखाबाद चले गए थे। जब वे 1728 में होली के दौरान वापस लौटे, तो वे स्थानीय लोगों के साथ उत्सव में शामिल हुए, जो धीरे-धीरे एक वार्षिक परंपरा बन गई। 1930 में जुलूस में ऊंट गाड़ी का उपयोग किया जाने लगा। खुराना ने यह भी उल्लेख किया कि 1990 के दशक में, जुलूस को रोकने के लिए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, लेकिन अदालत ने इसे एक पुरानी परंपरा के रूप में मान्यता देते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। लाट साहब जुलूस शहर से होकर 7 किलोमीटर का रास्ता तय करता है, जो कुंचा लाला में समाप्त होता है। प्रतिभागी पारंपरिक रूप से लाट साहब की जय का नारा लगाते हुए लाट साहब पर जूते फेंकते हैं।

 

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