

भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। जिले में कृषि भूमि को मनमाने ढंग से कंक्रीट के जंगल में बदला जा रहा है। जिला प्रशासन ने अवैध कॉलोनियों की शिकायत पर सभी एसडीएम से रिपोर्ट मांगी तो चौंकाने वाले मामले सामने आए। अब तक 790 अवैध कॉलोनियां चिह्नित हो चुकी हैं। एसडीएम ने कॉलोनियों का रकबा सहित अन्य ब्योरा संबंधित सब रजिस्ट्रार को भेजकर रजिस्ट्री पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं।

अवैध कॉलोनियों की शिकायतों पर जिला प्रशासन ने सभी एसडीएम से रिपोर्ट तलब की। जांच में गदरपुर में कृषि भूमि पर 109 व अकृषि जमीन पर 13 अवैध कॉलोनियां काटने की बात सामने आई है। जसपुर में 88 और बाजपुर में 115 अवैध कॉलोनियां चिह्नित की जा चुकी हैं। काशीपुर में 175, किच्छा में 125, सितारगंज में 99 और रुद्रपुर में 66 अवैध कॉलोनियां चिह्नित हुई हैं। कई कालोनियों में प्लाट काटकर विकास कार्य भी कराए जा चुके हैं। कॉलोनाइजरों की मनमानी का आलम यह है कि नियमों को ठेंगा दिखाकर कॉलोनियां काटकर उनमें लोगों को बसाना भी शुरू कर दिया है लेकिन खेती की जमीन पर हुई अवैध प्लॉटिंग की स्थानीय प्रशासन को भनक तक नहीं लग सकी।अनियोजित विकास के कटोरे के रूप में ने बढ़ाई परेशानी… धान प्रसिद्ध ऊधमसिंह नगर प्रदेश का प्रमुख कृषि जिला है। प्रमता बढ़ती आबादी के चलते खेती की जमीनों पर लगातार कॉलोनियां विकसित हो रही हैं। इनमें से ज्यादातर अवैध हैं और अनियोजित कॉलोनी में रह रहे लोग दुश्वारियों से जूझ रहे हैं।
रेरा-डीडीए दरकिनार, अपनी चला रहे सरकार
जिलेभर में काटी गई अवैध कॉलोनियों को न तो रेरा और न ही जिला विकास प्राधिकरण में पंजीकृत किया गया है। इसके अलावा प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई है। कई कॉलोनियों में नाली, पार्किंग, पार्क की व्यवस्था नहीं है। हालांकि डीडीए की ओर से लगातार अवैध कॉलोनियों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाती रही है। बावजूद इसके अवैध कॉलोनियों की भरमार कहीं न कहीं सिस्टम की शिथिलता को प्रदर्शित करता है।
चकबंदी के गांवों में काटीं 25 कॉलोनियां
कॉलोनाइजरों ने चकबंदी के गांवों में भी कॉलोनियां विकसित कर दीं। बाजपुर प्रशासन ने जिला प्रशासन को भेजी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है। चकबंदी में आने वाले गांवों मुड़िया पिस्तौर, पिपलिया,ताली सहित आठ गांवों में कालोनियों काटी गई। गांवों का जिम्मा एक चकबंदी लेखपाल संभाले हुए है।
सभी एसडीएम अवैध कॉलोनियों की सूची खसरा नंबर सहित अपने क्षेत्र के उपनिबंधक को दे रहे हैं। उपनिबंधकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अवैध कॉलोनियों के खसरा नंबरों
की रजिस्ट्री न करें। रेरा के संबंध में कॉलोनाइजर्स की ओर से झूठे शपथ पत्र दिए जा रहे हैं लिहाजा रेरा के संबंध में शपथ पत्र के आधार पर रजिस्ट्री न करने को भी कहा गया है। इन कॉलोनियों में खरीद विक्री नहीं होगी। कॉलोनाइजर इन्हें नियमानुसार पास कराएंगे या फिर खेती करेंगे। अधिकांश अवैध कॉलोनिययों की जमीन अभिलेखों में कृषि भूमि है। पंकज उपाध्याय, एडीएम / डीडीए सचिव
करीब दो साल पहले आई पलायन निवारण आयोग की रिपोर्ट में राज्य गठन से अब तक 10,000 हेक्टेयर जमीन शहरीकरण की भेंट चढ़ने की बात सामने आई थी। 2018 में जिले में 137034 हेक्टेयर कृषि भूमि थी और पांच साल में यह जमीन घटकर 134939 हेक्टेयर पर आ चुकी है
कई नेता अवैध कॉलोनाइजर…. जिले की तहसीलों की सूची में अवैध कॉलोनाइजरों में कई नेता और सफेदपोश लोग हैं। एक जनप्रतिनिधि के बेटों ने अवैध कॉलोनियां काटी हैं। कइयों ने पत्नी के नाम से कॉलोनियों को विकसित किया है।