भोंपूराम खबरी। भारत के सबसे अमीर उद्योगपतियों में शामिल गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी के नाम अमेरिका की एक अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है. इंटरनेशनल न्यूज एजेंसी रॉयटर्स का कहना है कि कोर्ट रिकॉर्ड्स के मुताबिक ये वारंट आगे की कार्रवाई के लिए भारतीय अधिकारियों को सौंपे जाने हैं।
जहां एक तरफ अमेरिका में कानून व्यवस्था से जुड़े अधिकारी गौतम और सागर अडानी समेत ग्रुप के जिम्मेदार लोगों पर क्रिमिनल कानूनों के तहत कार्रवाई की पहल कर रहे हैं, वहीं अमेरिका के सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंच कमीशन (SEC) ने भी गौतम अडानी और उनके दो सहयोगियों के खिलाफ अमेरिका के एंटी-फ्रॉड कानून के तहत एक्शन की शुरुआत कर दी है. इस सिविल एक्शन के तहत भारी जुर्माने और पाबंदियां लगाने का प्रावधान है. दोनों ही मामले ब्रूकलिन (Brooklyn) के फेडरल कोर्ट में दायर किए जा चुके हैं. इन आरोपों के बाद भारत में अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर्स में भारी गिरावट दर्ज की गई है. इस बीच, गौतम अडानी ने एक ताजा बयान में तमाम आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
अडानी ग्रुप के खिलाफ अमेरिका में क्या है पूरा मामला
अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी समेत सात अन्य सहयोगियों ने 20 साल में 2 अरब डॉलर (करीब 16,000 करोड़ रुपये) से ज्यादा का मुनाफा कमाने के मकसद से भारतीय अधिकारियों को भारी रिश्वत देकर बिजली खरीद के कॉन्ट्रैक्ट हासिल किए।
अमेरिकी प्रोसेक्यूटर्स यानी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोपों के मुताबिक गौतम अडानी और उनके सहयोगियों ने पावर परचेजिंग के एग्रीमेंट हासिल करने के लिए एक बड़ी योजना के तहत भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर (करीब 2,200 करोड़ रुपये) की रकम रिश्वत के तौर पर दी.
रॉयटर्स के मुताबिक इस मामले में अमेरिका के एक जज ने गौतम अडानी और सागर अडानी के नाम गिरफ्तारी के वारंट भी जारी कर दिए हैं.
कोर्ट डॉक्युमेंट्स बताते हैं कि अमेरिकी प्रोसेक्यूटर्स की योजना इन वारंट्स को भारत के लॉ एनफोर्समेंट अधिकारियों को सौंपने की है.
अमेरिकी अभियोजकों का कहना है कि गौतम अडानी, सागर अडानी और अडानी ग्रीन एनर्जी के मैनेजिंग डायरेक्टर विनीत जैन (Vneet S. Jaain) ने अपने इस भ्रष्टाचार को अमेरिकी निवेशकों और कर्ज देने वालों से छिपाकर लोन और बॉन्ड के रूप में 3 अरब डॉलर (करीब 24,000 करोड़ रुपये) जुटाए.
इस मामले में अमेरिकी अधिकारियों ने गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन पर सिक्योरिटीज़ फ्रॉड करने और सिक्योरिटीज व वायर फ्रॉड के लिए साजिश रचने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं.
यूएस SEC ने भी शुरू की कार्रवाई
यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने भी गौतम अडानी और उनके दो सहयोगियों के खिलाफ अलग से सिविल एक्शन शुरू किया है, जिसमें उन पर अमेरिका के एंटी-फ्रॉड कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. इस मामले में उनके खिलाफ आर्थिक जुर्माना और अन्य पाबंदियां लगाने की मांग की गई है.
SEC के एनफोर्समेंट डिविजन के एक्टिंग डायरेक्टर संजय वाधवा ने कहा कि गौतम अडानी और सागर अडानी पर आरोप है कि उन्होंने न सिर्फ निवेशकों को अपनी कंपनी के बॉन्ड खरीदने के लिए तैयार करने के मकसद से उनके सामने गलत तथ्य पेश किए. वाधवा के मुताबिक दोनों ने न सिर्फ ये कहा कि अडानी ग्रीन एक मजबूत रिश्वत विरोधी प्रोग्राम (anti-bribery compliance program) पर अमल करती है, बल्कि कंपनी के सीनियर मैनेजमेंट ने न तो पहले कभी रिश्वत दी है और न ही भविष्य में ऐसा करने वाला है.
अमेरिकी प्रोसेक्यूटर्स का आरोप है कि अडानी और उनके सहयोगी अन्य आरोपियों ने वॉल स्ट्रीट के इनवेस्टर्स के सामने अपनी बिजनेस डील्स को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, जिसके आधार पर निवेशकों ने पिछले 5 साल में उनके प्रोजेक्ट्स में अरबों डॉलर का निवेश कर दिया.
अमेरिकी प्रोसेक्यूटर्स का कहना है कि इस दौरान अडानी और उनके सहयोगी भारत में अरबों डॉलर की डील्स और फाइनेंसिंग हासिल करने के लिए सरकारी अधिकारियों को अरबों डॉलर की रिश्वत या तो दे रहे थे या देने की साजिश रच रहे थे.
2020 से रची जा रही थी साजिश : अमेरिकी अधिकारी
अमेरिका की डिप्टी असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल लिसा मिलर ने कहा है कि गौतम अडानी और उनके सहयोगी आरोपियों ने भारत में बिजली सप्लाई के बड़े कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने और उन्हें फाइनेंस करने के लिए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और फ्रॉड किया है और ऐसा अमेरिकी निवेशकों के हितों की कीमत पर किया गया.
अमेरिकी अटॉर्नी ब्रियॉन पीस (Breon Peace) ने कहा कि आरोपियों ने हमारे फाइनेंशियल मार्केट्स की पवित्रता (integrity) की कीमत पर अपने लिए दौलत जमा करने के मकसद से एक बड़ी और विस्तृत साजिश को अंजाम दिया.
अमेरिकी प्रोसेक्यूटर्स का आरोप है कि अडानी और उनके सहयोगी आरोपियों ने रिश्वत देने की योजना 2020 या 2021 में ही बनानी शुरू कर दी थी, ताकि अडानी ग्रीन और उनकी एक अन्य फर्म द्वारा बनाई जाने वाली बिजली की बिक्री की गारंटी हासिल की जा सके. इन कंपनियों ने भारत सरकार के सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के लिए बिजली बनाने का करार किया हुआ था.
भारत में बिजली समझौतों के लिए अरबों की घूस : अमेरिकी अधिकारी
अमेरिकी प्रोसेक्यूटर्स के मुताबिक अडानी ग्रीन और उसकी सहयोगी कंपनी द्वारा बनाई जा रही बिजली की ऊंची कीमतों की वजह से राज्य सरकारों द्वारा संचालित बिजली के डिस्ट्रीब्यूटर (state-run electricity distributors) उसे खरीदने में दिलचस्पी नहीं ले रहे थे. ये पावर डिस्ट्रीब्यूटर केंद्र से बिजली खरीदकर उसे घरों और कारोबारियों तक सप्लाई करते हैं.
प्रोसेक्यूटर्स का आरोप है कि अडानी ग्रीन और उसकी सहयोगी कंपनी के लिए ये पावर परचेजिंग डील्स हासिल करना बेहद जरूरी था, ताकि उनके प्रोजेक्ट्स को भारी कमाई हो और वे लाभप्रद बने रहें. इसलिए उन्होंने ये डील्स हासिल करने के लिए रिश्वत की पेशकश की. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक आरोपियों ने जब 2021 और 2022 में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत ऑफर करनी शुरू की, तो 5 भारतीय राज्यों या रीजन्स के बिजली वितरकों (electricity distributors) ने उनसे बिजली खरीदने के समझौते कर लिए. उस समय अडानी की कंपनी ने एक बयान भी जारी किया था, जिसमें इन डील्स को दुनिया का सबसे बड़ा पावर परचेंजिग एग्रीमेंट बताया गया था.