9.3 C
London
Friday, October 18, 2024

5 नवंबर को नहाय खाय के साथ होगी छठ पूजा की शुरुआत, देखें खरना से लेकर उषा अर्घ्य तक का पूरा कैलेंडर और जानें पूजा करने का तरीका

- Advertisement -spot_img
spot_img
spot_img

भोंपूराम खबरी,देहरादून। पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा का आरंभ हो जाता है। यह महापर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। छठ पूजा का मुख्य व्रत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और भविष्य के लिए सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना करती है। इस दौरान महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। यही वजह है कि इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। पहले दिन नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत होती है। दूसरे दिन लोहंडा और खरना होता है। वहीं तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का पारण किया जाता है और इसी के साथ इस पर्व का समापन हो जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल छठ पूजा कब से शुरू हो रही है।

कब है छठ पूजा?

दृक पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि के साथ छठ पूजा का आरंभ हो जात है। वहीं षष्ठी तिथि को शाम के समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर को 12 बजकर 41 मिनट (ए एम) से आरंभ हो रही है, जो 8 नवंबर को 12 बजकर 34 मिनट (ए एम) पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 7 नवंबर को ही सूर्य को संध्या अर्घ्य दी जाएगी।

छठ पूजा 2024 कैलेंडर

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय (मंगलवार)

छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना (बुधवार)

छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024- संध्या अर्घ्य (गुरुवार)

छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य (शुक्रवार)

पहला दिन नहाय खाय का महत्व

नहाय-खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है। नहाय खाय जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता है कि इस दिन स्नान करके भोजन करने का विधान है। नहाय खाय के दिन व्रत करने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं। यहि नदी में नहाना संभव न हो ते घर पर भी नहा सकते हैं। इसके बाद व्रती महिलाएं भात, चना दाल और लौकी का प्रसाद बनाकर ग्रहण करती हैं।

दूसरा दिन खरना

छठ पूजा के दूसरे दिन को लोहंडा या खरना कहा जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना का प्रसाद बनाया जाता है। इस दिन माताएं दिनभर व्रत रखती हैं और पूजा के बाद खरना का प्रसाद खाकर 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ करती है। इस दिन मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से आग जलाकर प्रसाद बनया जाता है।

तीसरा दिन संध्या अर्घ्य

छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय नदी या तालाब में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही बांस के सूप में फल, गन्ना, चावल के लड्डू, ठेकुआ सहित अन्य सामग्री रखकर पानी में खड़े होकर पूजा की जाती है।

चौथा दिन उषा अर्घ्य

छठ पूजा के चौथे और आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं। साथ ही अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे भविष्य की कामना करते हैं।

 

Latest news
Related news
- Advertisement -spot_img

Leave A Reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »