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Sunday, December 22, 2024

…….. तो क्या हरीश पनेरू भूले अपना राजनीतिक कद !!!!!

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भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। चार बार के विधायक और दो बार प्रदेश में मंत्री रहे तिलक राज बेहड़ के रुद्रपुर छोड़कर किच्छा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताने के साथ ही कांग्रेस के प्रदेश महासचिव हरीश पनेरू उन पर लगातार हमलावर रहे हैं। इस दौरान न सिर्फ पनेरू सार्वजनिक रूप से बेहड़ के खिलाफ अभद्र शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं बल्कि मीडिया में मंचों पर भी अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता बेहड़ को कई बार अपमानित करने का प्रयास कर चुके हैं। अलबत्ता अपने से दशक से भी ज्यादा कनिष्ठ पनेरू के किसी भी अनर्गल प्रलाप का बेहड़ ने कोई जवाब न देकर अपने धैर्य और वरिष्ठता का एहसास बार-बार कराया है।  

गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व बेहड़ ने किच्छा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि यदि पार्टी टिकट देगी तो वह किच्छा को कर्मस्थली बनायेंगे। ज्ञात हो कि पूर्व में अविभाजित विधानसभा के दौरान बेहड़ चार बार किच्छा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस ऐलान के बाद से ही कांग्रेस के प्रदेश महासचिव हरीश पनेरू की पेशानी पर बल पड़ गए। उन्होंने बेहड़ पर बाहरी होने का आरोप लगाया और साथ ही यह भी कहा कि किच्छा में बेहड़ उनकी बोई फसल काटने आ रहे हैं। आश्चर्यजनक रूप से पनेरू ने बीते विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के हारने का कारण भी उनका बाहरी होना बताया। इस तरह के वक्तव्य देते समय पनेरू घमंड से भरे दिखे और यह लगा मानों दो बार के किच्छा विधायक राजेश शुक्ला उनकी आंधी में तिनके की तरह उड़ जायेंगे। पनेरू के इस दावे पर अधिकांश जानकारों ने हैरानी जताई जिनका कहना था कि छात्र जीवन में डिग्री कालेज का चुनाव जीतने के अतिरिक्त पनेरू के खाते में कोई उपलब्धि नहीं है। जानकारों का यह भी कहना था कि मात्र पूर्व मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी से नजदीकी के चलते ही पनेरू राजनीति में स्थान बना सके। किच्छा के कांग्रेसियों का कहना है कि बीते नगरपालिका चुनाव में अध्यक्ष पद पर दर्शन कोली की जीत भी बेहड़ के कुशल प्रबंधन का नतीजा है। जबकि खुद को स्थानीय कहने वाले नेताओं ने न सिर्फ हरीश रावत बल्कि दर्शन कोली को हारने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी।  

इन्हीं कांग्रेसियों का कहना है कि शुक्ला के कद को टक्कर सिफ बेहड़ ही दे सकते हैं। मात्र मनोनयन से पद पाने वाले तथाकथित स्थानीय नेता चयनित नहीं हो सकते। कहा कि ये इलेक्शन नहीं सिलेक्शन के उत्पाद हैं और राजनीति में शुक्ला का मुकाबला करना इनके बस का नहीं। नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि पनेरू को राजनीती में आगे बढ़ाने वाले बेहड़ ही हैं। रुद्रपुर के एक पांच सितारा होटल में विजय बहुगुणा के तत्कालीन सीएम रहने के दौरान का संस्मरण साझा करते हुए इस नेता ने बताया कि बहुगुणा ने पनेरू को किसी मामले में जिद करने पर जमकर डांटा। यहाँ तक कि पनेरू होटल परिसर से रोते हुए जाने लगे तो बेहड़ ने ही उन्हें रोका और बहुगुणा से पुनः भेंट कराई थी। उक्त नेता ने कहा कि पनेरू जिस तरह अपने से वर्षों वरिष्ठ बेहड़ के खिलाफ प्रलाप करने में लगे हैं वह उनकी अपरिपक्वता दर्शाता है। यदि उनका कार्य और कद इतना ही बड़ा है तो किच्छा से उन्हें टिकट मिल ही जाना चाहिए क्योंकि बेहड़ ने सदा यही कहा कि पार्टी हाईकमान जिसे टिकट दे वह किच्छा से सबका साथ लेकर चुनाव लड़ ले।

वहीं किच्छा के एक पर्वतीय मूल के कांग्रेसी नेता ने कहा कि पनेरू पहाड़ी वोटों की बदौलत खुद को किच्छा में सशक्त मान रहे हैं। जबकि असलियत यह है कि वह पहाड़ी पर्वों पर भी राजनीति का अवसर तलाशते हैं और पर्वतीय समाज के हिट से उन्हें कोई सरोकार नहीं है। कुल मिलाकर इन घटनाओं से पनेरू का कद को नुक्सान ही पहुँचता दिख रहा है। 

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