भोंपूराम खबरी। तराई किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष तजिंदर सिंह विरक ने जिलाधिकारी के बयान के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा की आज पराली को लेकर जिलाधिकारी का फ़रमान तुगलकी फ़रमान है की पराली नहीं जलाने दी जाएगी और धारा 144 लागू कर दी यह इंसाफ़ नहीं है यह अत्याचार है पराली को लेकर देश का किसान लगातार संघर्ष करता रहा है और किसानों के संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने यह कहाप्रदूषण के लिए केवल किसान को ही दोषी नहीं माना जा सकता किसान के पराली के अवशेषों सेमात्र 10 प्रतिशत प्रदुषण है जबकि उद्योग एवं अन्य संसाधनों से इससे कई गुना ज़्यादा प्रदूषण हवा में फैल रहा है इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को क्षतिपूर्ति के निर्देश भी दिए लेकिन सरकारों द्वारा पराली के अवशेषों के प्रबंधन के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है नातो हैप्पी सीडर मल चर और रोटाविटर सब्सिडी पर उत्तराखंड सरकार ने उपलब्ध करवाए हैं दूसरी ओर किसानों को कार्यशाला लगाकर डी कम्पोजर के प्रभाव संबंधी जानकारी दी है उल्टा पराली पर सख़्त कार्रवाई के निर्देश दे दिऐ है जबकि केंद्र सरकार में पराली जलाने पर जुर्माना सजा के प्रावधान संबंधी धाराओं को क़ानून से हटा दिया है उधम सिंह नगरतराई का क्षेत्र है यदि जी कंपोजर या रोटाव्टर से पराली को नष्ट किया जताया तो खेत में नमी अधिक होने के कारण गेहूं की फ़सल समय से नहीं बोई जा सकती है इसलिए पराली जलीना किसानों की मजबूरी है जिला प्रशासन को किसानों की पराली काधुआँ तो नज़र आ रहा है लेकिन सिडकुल व अन्य उद्योगों में निकल रहा ज़हर नज़र नहीं आ रहा विरक ने कहा कि यदि सरकार व प्रशासन पराली नहीं जलाने के आदेश दे रहा है तो किसानों को प्रति एकड़ 5 हज़ार रुपया अनुदान राशि दे जिससे कि किसान होने वाले ख़र्च को वह न कर सके।