भोंपूराम खबरी। गाजियाबाद में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी किसान संगठनों के चुनिंदा प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय बैठक में किसान आंदोलन को लेकर तीन महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बात पर निराशा व्यक्त की, कि 9 दिसंबर 2021 को मोर्चा उठाने पर सरकार ने किसानों से जो वादे किए थे उन पर केंद्र सरकार पूरी तरह मुकर गई है। ना तो एमएसपी पर कमेटी का गठन हुआ है और ना ही आंदोलन के दौरान किसानों पर लगाए गए झूठे मुकदमें वापस लिए गए हैं। सरकार बिजली बिल को संसद में लाने का प्रयास कर रही है। किसानों की सबसे बड़ी मांग, न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, पर सरकार विचार करने को भी तैयार नहीं है। सरकार के इस वादाखिलाफी के विरोध में, 18 जुलाई को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से 31 जुलाई शहीद उधम सिंह की शहादत दिवस तक, देशभर में जिला स्तर पर “वादाखिलाफी विरोधी सभा” आयोजित की जाएगी। इस अभियान के अंत में 31 जुलाई को सरदार उधम सिंह के शहादत दिवस पर सुबह 11:00 से दोपहर 3:00 बजे तक देशभर में मुख्य मार्ग पर चक्का जाम किया जाएगा। इस आयोजन से आम जनता को परेशानी ना हो इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा।
बैठक में यह फैसला भी लिया गया कि अग्निपथ योजना के विरुद्ध किसान संगठन, बेरोजगार युवाओं और पूर्व सैनिकों को लामबंद करेगा, क्योंकि यह योजना राष्ट्र-विरोधी और युवा-विरोधी होने के साथ-साथ किसान-विरोधी भी है। अग्निपथ योजना के चरित्र का पर्दाफ़ाश करने के लिए 7 अगस्त से 14 अगस्त के बीच देशभर में “जय-जवान जय-किसान” सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जिसमें पूर्व सैनिकों और बेरोजगार युवाओं को भी आमंत्रित किया जाएगा।
लखीमपुर खीरी हत्याकांड के 10 महीने बाद भी अजय मिश्र टेनी का केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहना देश की कानून व्यवस्था के साथ एक भद्दा मजाक है। संयुक्त किसान मोर्चा शुरू से किसानों को न्याय दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध रहा है, और पीड़ित परिवारों को कानूनी व अन्य हर तरह की सहायता देता रहा है। इसी मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाने के लिए आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा लखीमपुर खीरी में 18-19-20 अगस्त को 75 घंटे का पक्का मोर्चा आयोजित करेगा, जिसमें देश भर से किसान नेता और कार्यकर्ता भाग लेंगे।
इस बैठक में किसान और मानवाधिकार आंदोलनों पर बढ़ते हुए दमन पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। संयुक्त किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में किसान नेता आशीष मित्तल को झूठे मामलों में फंसाने, बंगाल के फरक्का में अदानी के हाई-वोल्टेज तार का विरोध कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज, तथा छत्तीसगढ़ में विरोध कर रहे किसानों के दमन की भर्त्सना करता है। साथ ही सुश्री तीस्ता सीतलवाड़, आर०बी० श्रीकुमार, और मुहम्मद ज़ुबैर जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की गिरफ्तारी, पूरे देश में लोकतांत्रिक अधिकारों पर बढ़ते दमन का संकेत देती है। संयुक्त किसान मोर्चा इस लोकतांत्रिक संघर्ष में इन सभी कार्यकर्ताओं और संगठनों के साथ खड़ा है।
आज की सभा में देश के 15 राज्यों से लगभग 200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पंजाब चुनाव के मुद्दे पर संयुक्त किसान मोर्चा से अलग किए गए 16 संगठनों को आज मोर्चे में पुनः दाखिल किया गया। आज की बैठक में चंद्रशेखर कोडीहल्ली के नेतृत्व वाली “कर्नाटक राज्य रैय्यत संघ” को संयुक्त किसान मोर्चा से निष्कासित करने का भी निर्णय लिया गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने विश्वास व्यक्त किया है कि उसके दरवाजे देश के तमाम संघर्षरत किसानों और किसान संगठनों के लिए खुले हैं, और यह उम्मीद व्यक्त की कि इस दमनकारी सरकार के विरुद्ध किसानों का संघर्ष और तेज तथा प्रभावी बनेगा