
भोंपूराम खबरी,जयपुर। जब जान ही नहीं रहेगी तो इस ‘विकास का क्या करेंगे?’ पर्वत का सीना चीर रहे। जंगल काट रहे। चीरने और काटने के लिए कानून बदल रहे। अब जल, जंगल, जमीन और हवा सब खतरे में। अब वो वक्त ज्यादा दूर नहीं जब कोई नहीं बचेगा। प्रकृति अपने साथ बुरे बर्ताव का बदला जरूर लेगी। सांस की तकलीफ से अभी दिल्ली का दम घुट रहा है। कल को दिल्ली अट्टालिकाओं का निर्जन प्रदेश बन जाएगी।

अरावली पर्वत श्रृंखला क्यों है खास?
अरावली पर्वतमाला उत्तर पश्चिम भारत में एक पर्वत श्रृंखला है। ये पर्वत श्रृंखला दिल्ली के नजदीक से शुरू हो कर, हरियाणा, राजस्थान होते हुए गुजरात में समाप्त होती है। इसकी सबसे ऊंची चोटी राजस्थान में माउंट आबू स्थित ‘गुरु शिखर’ है।
ग्रेट ग्रीन वॉल ऑफ अरावली
उत्तर अरावली पर्वतमाला के कारण दिल्ली और हरियाणा की जलवायु आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय (Humid Subtropical) है। इसके कारण दिल्ली में ग्रीष्मकाल में बहुत गर्मी और शीतकाल में बहुत ठंड पड़ती है। अरावली पर्वत श्रृंखला भारत की महान हरित दीवार ( ग्रेट ग्रीन वॉल ऑफ अरावली) है। पर्यावरण के दृष्टिकोण से ये एक संवेदनशील क्षेत्र है। ये पर्वत एक तरह से दिल्ली के लिए वरदान है। जब राजस्थान के रेगिस्तान से धूल भरी गर्म हवाएं दिल्ली की और आती हैं तो ये पर्वत इनके सामने प्राकृतिक अवरोध बन कर खड़ा हो जाता है। जब तक अरावली पर्वत राजस्थान से आने वाली धूल भरी आंधी को रोकता रहा, दिल्ली की सेहत ठीक रही। लेकिन, जब से अरावली का पारिस्थितिकी संतुलन (Ecological Balance) खराब हुआ है, दिल्ली का दम घुटने लगा है। अब तो प्रदूषण जानलेवा स्तर पर पहुंच चुका है।


