Tuesday, December 2, 2025

रुद्रपुर निगम का रैन बसेरा सर्दियों’ में भी नहीं खुल रहा, लगा है ताला

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भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। शासकीय सेवाओं के बारे में अक्सर ही यह कहा जाता है की आमतौर पर सरकार की गरीब हितैषी व्यवस्थाएं एवं सेवाएं उन जरूरतमंद गरीबों के काम कुछ कम ही आ पाती हैं, जिनके लिए वह संचालित की जाती हैं।

सरकारी योजनाओं एवं सेवाओं के बारे में जन सामान्य के भीतर बनी इस धारणा को नगर निगम रुद्रपुर द्वारा संचालित रैन बसेरा इन दिनों पूरी तरह मजबूत करता दिखाई दे रहा है। उल्लेखनीय है कि नगर निगम द्वारा ऐसे यात्रियों, जिनके पास होटल में ठहरने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं और ऐसे गरीब जिनके पास रात गुजारने का कोई छायादार ठिकाना नहीं है ,के लिए रुद्रपुर शहर में एक रैन बसेरा संचालित किया जाता है। अब से पहले कुछ वर्ष पहले तक यह रैन बसेरा नैनीताल रामपुर हाईवे पर रुद्रपुर बस टर्मिनल के पास स्थित था ,लेकिन तकरीबन 2 वर्ष पूर्व उत्तराखंड में आयोजित किए गए जी-20 समिट के दौरान चली विध्वंस की आंधी के परिणाम स्वरूप उक्त रैन बसेरा विस्थापित होकर स्थानीय अग्रसेन चौक पहुंच गया।

अग्रसेन चौक स्थित इस रैन बसेरे में पिछले सर्दियों के समय ठीक-ठाक व्यवस्था की गई थी। रैन बसेरा चौबीस घंटे खुला रहता था तथा रात में रैन बसेरा के पास अलाव की व्यवस्था भी नगर निगम द्वारा कर दी जाती थी, लेकिन अबकी बार की ठंड के सीजन में नगर निगम रुद्रपुर ने अभी तक इस रैन बसेरे की सुध नहीं ली है और वर्तमान में यह केवल एक शो पीस बनकर रह गया है। ऐसे समय, जबकि दिनों दिन गहराती ठंड के चलते जरूरतमंदों के लिए रैन बसेरे की छत जरूरी है, नगर निगम रुद्रपुर के इस रैन बसेरे में चौबीस घंटे ताला लटकता रहता है तथा रैन बसेरे का केयरटेकर भी लापता रहता है। और तो और, रैन बसेरा के बोर्ड अथवा दीवारों पर कहीं भी केयरटेकर का कोई कांटेक्ट नंबर भी अंकित नहीं है, जिसके चलते आवश्यकता पड़ने पर कोई जरूरतमंद केयरटेकर से संपर्क स्थापित कर रैन बसेरे की सुविधा का लाभ भी नहीं ले पाता। रैन बसेरा पर चौबीस घंटे ताला लटके रहने के चलते रैन बसेरा की दरवाजे पर कपड़े की दुकान लगाई जा रही है। इसके अलावा रैन बसेरा के आसपास काफी गंदगी भी जमा है।

भोंपूराम खबरी की टीम बीती रात के लगभग आठ बजे रैन बसेरा की व्यवस्थाओं का जायजा लेने की गरज से जब मौके पर पहुंची तो रैन बसेरे के दरवाजे पर मोटा सा ताला लटक रहा था और दरवाजे के ठीक सामने कपड़े की दुकान सजी हुई थी, जो कहीं ना कहीं इस बात की चुगली करती प्रतीत होती है कि नगर निगम का उपरोक्त रैन बसेरा फिलहाल बंद ही पड़ा रहता है और फिलहाल इसकी सेवाएं जरूरतमंद आम लोगों की पहुंच से दूर ही हैं। खैर, रात- दर- रात गहराती सर्दी के बीच निगाहें अब इस पर रहेगी कि नगर निगम के जिम्मेदारों को बढ़ती ठंड का एहसास कब तक होता है और रैन बसेरे की व्यवस्था को सुचारू और चाक चौबंद होने में अभी और कितना समय लगता है ?

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