Friday, November 14, 2025

Share

उत्तराखंड में 12 फीसदी बच्चे डिप्रेशन के शिकार हैं। हो सकता है कि आपके परिवार में कोई एक बच्चा ऐसा हो जो हर रोज एक जंग लड़ रहा हो। एक ऐसी जंग जिसके घाव नजर नहीं आते लेकिन वो आपके बच्चे को अंदर ही अंदर खोखला करते जा रहे हैं। हम सब अपने बच्चों की पढ़ाई की चीता करते हैं उनके खाने पीने का ध्यान रखते हैं। लेकिन एक चीज है जो हम अकसर नजरअंदाज कर देते हैं। और वो है हमारे बच्चों की मानसिक सेहत। आज इस आर्टिकल में हम आपको उत्तराखंड में हुए एक ऐसे सर्वे के बारे में जिसकी रिपोर्ट ने सबको हिलाकर रख दिया

उत्तराखंड में बच्चे डिप्रेशन से जूझ रहे

इस रिपोर्ट में ऐसे आंकड़े सामने आएं हैं जिसे सुनकर आप अपने बच्चों पर और भी ज्यादा ध्यान देने लगेंगे। दरअसल 11 नवंबर को उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग ने एक रिपोर्ट जारी की। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पूरे देश में पहली बार किसी राज्य ने इतने बड़े पैमाने में बच्चों और किशोरों की मानसिक सेहत को लेकर स्टडी की है। इस सर्वे में 802 बच्चे और किशोर शामिल किए गए जिनकी उम्र 17 साल तक थी। ये अध्ययन चार जिलों में किया गया- देहरादून, पौड़ी, अल्मोड़ा और नैनीताल। जिसकी रिपोर्ट 11 नवंबर को जारी की गई।

12 प्रतिशत बच्चे डिप्रेशन का शिकार

रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में 12 प्रतिशत बच्चे डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। यानी आपके आसपास 50 में से 6 बच्चे डिप्रेशन का शिकार हैं। चौंकाने वाली बात तो ये है की डिप्रेशन से गुजर रहे बच्चों में लड़कों से ज्यादा लड़कियों की संख्या है।

सिर्फ डिप्रेशन ही नहीं इस सर्वे में और भी कई मानसिक समस्याएं सामने आई हैं सर्वे में ऑटिज्म और बौद्धिक विकलांगता यानी (Intellectual Disability) जैसी गंभीर समस्याओं की भी पहचान हुई। जिनका आज तक पता ही नहीं चल पाया था। मतलब बच्चे मदद के लिए इंतज़ार कर रहे हैं। हमें कानों-कान खबर तक नहीं जिस वजह से इन सब बीमारियों की सही वक्त पर पहचान और इनका उपचार नहीं हो पा रहा है।

78 प्रतिशत लोगों को डिप्रेशन के बारे में जानकारी

आपको ये जानकर हैरानी होगी की सर्वे में शामिल 78 प्रतिशत लोगों को डिप्रेशन के बारे में जानकारी थी। लोग ये भी जानते थे कि उनका बच्चा डिप्रेशन से जूझ रहा है। लेकिन इसके बावजूद महज 3 प्रतिशत से भी कम लोगों ने इसका इलाज करवाया। हैरानी होती है ये सोचकर की डिप्रेशन को हमने इतना लाइटली लेना शुरु कर दिया है कि इसे लेकर हम डॉक्टर्स के पास तक नहीं जा रहे।

इन वजहों से डिप्रेशन में जा रहे बच्चे

वक्त बदल रहा है बच्चे इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब जैसे सोशल मिडिया हैंडलस पर घंटों बिता रहे हैं। कई अलग-अलग वजहों से डिप्रेशन में जा रहे हैं। जैसे वो सोशल मीडिया पर दूसरों की “परफेक्ट” लाइफ देखते हैं। फिर अपनी लाइफ से नाखुश हो जाते हैं। कई बच्चे पढ़ाई का प्रेशर नहीं झेल पाते।

बात करें लड़कियों के ज्यादा डिप्रेशन में जाने की तो आज भी समाज के साथ ही घर वाले भी लड़कीयों पर हजार तरह के दबाव डालते हैं। साथ ही लड़कियों से ये भी उम्मीद की जाती है कि वो इमोशनली ज्यादा मजबूत बनें। अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त ना करें। यही सब उन्हें डिप्रेशन की तरफ धकेल देता है।

 

Read more

Local News

Translate »